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बेटियों ने बेटा बनकर निभाई मां की अंतिम संस्कार की रस्में

हिंदू धर्म में महिलाओं का शमशान घाट पर जाना वर्जित है लेकिन ग्राम पंचायत पनोह के गांव पनोह की दो बेटियों ने रीति रिवाजों से परे हटकर बेटे का धर्म निभाया। दोनो बेटियों रिया और नोनिया ने मां की अर्थी को कंधा दिया।

By Jagran NewsEdited By: Richa RanaPublished: Mon, 03 Oct 2022 07:25 PM (IST)Updated: Mon, 03 Oct 2022 07:25 PM (IST)
बेटियों ने बेटा बनकर निभाई मां की अंतिम संस्कार की रस्में
दोनो बेटियों रिया और नोनिया ने मां की अर्थी को कंधा दिया।

बिलासपुर,संवाद सहयोगी। हिंदू धर्म में महिलाओं का शमशान घाट पर जाना वर्जित है, लेकिन ग्राम पंचायत पनोह के गांव पनोह की दो बेटियों ने रीति रिवाजों से परे हटकर बेटे का धर्म निभाया। दोनो बेटियों रिया और नोनिया ने न केवल मां की अर्थी को कंधा दिया बल्कि मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार भी किया। इस दृश्य को देखकर लोगों की आंखें नम हो गई। 45 वर्षीय निर्मला देवी के पार्थिव शरीर को उसकी दो बेटियों ने न केवल कंधा देकर शमशान घाट तक पहुंचाया बल्कि रोते बिलखते अपनी मां को मुखाग्नि भी दी। मासूम बेटियों ने सिद्ध कर दिया कि वह न केवल अपने मां-बाप की बेटियां हैं, बल्कि बेटे बनकर भी अपनी जिम्मेदारी का समाज में निर्वहन भी कर सकते हैं।

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पीजीआइ में चल रहा था निर्मला देवी का इलाज

निर्मला देवी कुछ दिन पहले उस समय गंभीर रूप से घायल हो गई थी जब वह अपने पशुओं को चारा लाने के लिए खेत में गई हुई थी तथा उसका उपचार पीजीआई चंडीगढ़ में भी चला हुआ था, लेकिन उसकी स्थिति की नाजुकता को देखते हुए उसे नेरचौक मेडिकल कालेज में दाखिल करवाया गया था जहां वह करीब 20 दिन से वेंटिलेटर पर थी। जैसे ही उसकी मौत की सूचना गांव में पहुंची तो गांव में मातम पसर गया तथा लोग उस परिवार को ढांढस बंधाने पहुंच गए। निर्मला देवी अति निर्धन परिवार से संबंध रखती तथा वह अपने पीछे 18 व 20 वर्षीय बेटियों को तथा अपने पति जितेंद्र चंदेल को रोते बिलखते छोड़ गई। ग्राम पंचायत पनोह उप प्रधान बेसिरया राम संधू ने बताया कि उपरोक्त परिवार अति निर्धन व आइआरडीपी से है।

पालतू पशुओं से चल रहा है घर का खर्च

परिवार की आय का साधन पालतू पशुओं को पालना व उन से निकाले गए दूध से आय अर्जित करना ही था तथा बीमारी के दौरान उन्हें अपने पशु मुफ्त में ही देने पड़े। जिसके चलते अब इस परिवार की आय का कोई भी साधन नही है। बड़ी बेटी एमबीए व छोटी बेटी बीएससी की शिक्षा प्राप्त कर रही है। दुःख की इस घड़ी में कुछ समाजसेवी संस्थाओं ने भी उनका दुख साझा करने का प्रयास किया है। दरिद्र नारायण कल्याण समिति के अध्यक्ष शहजाद चौहान व महासचिव जगदीश चंद ने पहले भी इस परिवार को आर्थिक सहायता प्रदान की है तथा उन्होंने कहा कि वह भविष्य में भी इन दोनों बेटियों की शिक्षा दिलाने में अपना सहयोग करेंगी।

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