अल्ट्रासाउंड के दौरान मरीजों को संक्रमण से बचाने के लिए बनाया सुरक्षा कवच, टांडा में खास व्यवस्था
डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल कांगड़ा स्थित टांडा के रेडियोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. लोकेश राणा ने संक्रमण से बचाव के लिए सुरक्षा कवच तैयार किया है।
टांडा, तरसेम सैनी। देश कोरोना संकट से जूझ रहा है। अब कुछ ऐसे मामले भी सामने आने लगे हैं, जिनमें कोरोना के लक्षण दिखाई नहीं दे रहे हैं जबकि जांच में कोरोना संक्रमित पाए जा रहे हैं। ऐसे मामले सबसे बड़ा खतरा है उन योद्धाओं के लिए जो कोरोना संक्रमण को खत्म करने के मोर्चे पर डटे हैं। इस सूची में सबसे ऊपर हैं स्वास्थ्य कर्मचारी यानी डॉक्टर, नर्सिग व अन्य सहायक स्टाफ।
रेडियोलॉजिस्ट भी इस खतरे से महफूज नहीं हैं। अल्ट्रासाउंड करने के दौरान वे मरीज के सीधे संपर्क में आते हैं। मरीज के छींकने या खांसने से उन्हें संक्रमण का खतरा रहता है। डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल कांगड़ा स्थित टांडा के रेडियोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. लोकेश राणा ने संक्रमण से बचाव के लिए सुरक्षा कवच तैयार किया है। इससे अल्ट्रासाउंड के दौरान मरीज के छींकने या खांसने से फैलने वाले संक्रमण से बचाव होगा। असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. लोकेश राणा ने अल्ट्रासाउंड के दौरान इस्तेमाल होने वाले बेड को प्लास्टिक शीट्स से चारों तरफ से कवर कर दिया है।
रेडियोलॉजिस्ट द्वारा अल्ट्रासाउंड के लिए उपकरण से मरीज के पेट को स्कैन करने के लिए प्लास्टिक शीट में एक छेद किया गया है। इससे सिर्फ रेडियोलॉजिस्ट का हाथ ही अंदर जाएगा। हाथ भी ग्लब्ज से कवर रहेगा। इससे मरीज के छींकने-खांसने के संक्रमण का खतरा नहीं रहेगा। टांडा मेडिकल कॉलेज में आजकल ऐसे ही अल्ट्रासाउंड किए जा रहे हैं। रोज प्लास्टिक शीट भी बदली जाती हैं।
संक्रमित मरीजों का अल्ट्रासाउंड से लेकर अन्य उपचार आइसोलेशन वार्ड में ही किया जा रहा है। इसके बावजूद अगर जनरल अल्ट्रासाउंड के दौरान भी किसी मरीज में संक्रमित होने के लक्षण दिखें तो उस मशीन को आधे घंटे तक बंद करने के साथ-साथ कमरे को सैनिटाइज करने का प्रावधान है।
कोरोना वायरस के मद्देनजर सबको एहतियात बरतने की जरूरत है। अब कोरोना संक्रमण के ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिनमें वायरस के लक्षण नहीं दिख रहे। ऐसी स्थिति में स्वास्थ्यकर्मियों को सबसे ज्यादा चौकन्ना रहने व सुरक्षित रहने की जरूरत है। अल्ट्रासाउंड के दौरान रेडियोलॉजिस्ट मरीजों के सीधे संक्रमण में आते हैं। मरीज के छींकने व खांसने से होने वाले संक्रमण से इन्हें बचाने के लिए यह तरीका अपनाया है। जिस बेड पर अल्ट्रासाउंड किया जाता है उसे प्लास्टिक शीट्स से कवर कर दिया है। इसमें एक छेद रखा है जिसके माध्यम से रेडियोलॉजिस्ट अपना काम कर सकता है। मैंने सभी स्वास्थ्य संस्थानों के रेडियोलॉजिस्ट से इस तरकीब को अपनाने की अपील की है। टांडा मेडिकल कॉलेज के रेडियोलॉजी विभाग में हम मरीज का अल्ट्रासाउंड अब इसी तरह कर रहे हैं। -डॉ. लोकेश राणा, असिस्टेंट प्रोफेसर रेडियोलॉजी टांडा मेडिकल कॉलेज।