इतिहास में दूसरी बार नहीं हो पाया इंद्रुनाग देवता का छिंज मेला, अंग्रेज हुकूमत में भी हुआ था कुछ ऐसा
Coronavirus खनियारा में हर साल होने वाला एेतिहासिक छिंज मेला कोरोना वायरस संक्रमण के चलते नहीं हो सका।
धर्मशाला, नीरज व्यास। खनियारा में हर साल होने वाला एेतिहासिक छिंज मेला कोरोना वायरस संक्रमण के चलते नहीं हो सका। इतिहास में दूसरी बार ऐसा हुआ है। इससे पहले अंग्रेजी हुकूमत के वक्त एेसा हुअा था। अंग्रेज अधिकारी ने इंद्रुनाग देवता के ध्वज को नजर अंदाज करके ब्रिटिश ध्वज तले मेला करवाने का प्रयास किया था। यह घटना सौ साल पहले से भी पुरानी थी। लेकिन उस वक्त मेला नहीं हो सका था।
कहा जाता है कि इंद्रुनाग देवता ने मेला नहीं होने दिया था अौर पूरा मैदान बर्फ की सफेद चादर से ढक गया था। अब कोरोना वायरस महामारी के कारण इंद्रुनाग देवता का एेतिहासिक छिंज मेला नहीं हो सका है। यह एेतिहासक मेला परंपरा व लोक संस्कृति का प्रतीक है तथा पहाड़ी गीतों में लोक गीतों में भी गुथा है।
मेला 27 से शुरू होकर 30 मार्च तक चलता है। 27 को इंद्रुनाग देवता के मंदिर में पूजा अर्चना व खेलपात्र तथा ध्वज चढ़ता था। 28 मार्च को नाग की छड़ी यात्रा कोटासनी माता मंदिर तक जाती थी अौर उसके बाद मेला मैदान में पहुंचती थी। अाखाड़े में इंद्रु नाग देवता का ध्वज लगता है अौर उसके बाद दंगल शुरू होता था। लेकिन इस बार कोई आयोजन नहीं हो पाया। 29 मार्च को बड़ी माली होती है ओर 30 को मेला खेलकूद व सांस्कृतिक गतिविधियां अायोजित होती हैं।
हालांकि, इंद्रुनाग देवता के बताए मुताबिक मेला कमेटी ने सरकारी नियमों को ध्यान में रखते हुए पूजा की है अौर ध्वज भी चढ़ाया है। मेला कमेटी के प्रधान कैप्टन ईश्वर ठाकुर ने लोगों से अाह्वान किया है कि अपने घरों में रहें अौर सुरक्षित रहें। अाने वाले समय में जब सब ठीक रहेगा तो मेला अायोजित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भगवान इंद्रू नाग देवता से प्रार्थना की है कि सभी लोग महामारी से बचे रहें।