18 दिन में कोरोना वायरस को मात देकर घर लौटे प्रताप चंद, पत्नी व बेटी ने बढ़ाया हौसला
कहते हैं कि अगर हिम्मत और जज्बा हो तो आप किसी भी मुश्किल से पार पा सकते हैं। इसमें चाहे कोरोना वायरस से लड़ाई ही क्यों न हो।
धर्मशाला, दिनेश कटोच। कहते हैं कि अगर हिम्मत और जज्बा हो तो आप किसी भी मुश्किल से पार पा सकते हैं। इसमें चाहे कोरोना वायरस से लड़ाई ही क्यों न हो। वर्तमान में लोग कोरोना महामारी से डर रहे हैं लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो बुलंद हौसलों से इसे मात दे रहे हैं। कुछ ऐसा ही उदाहरण पेश किया है कांगड़ा हलके के तहत चौंधा निवासी 63 वर्षीय प्रताप चंद ने। वह कोरोना को मात देकर स्वस्थ होकर घर लौटे हैं।
प्रताप चंद दिल्ली में एक निजी कंपनी में कार्यरत थे। लॉकडाउन से पहले ही उन्हें सांस लेने की दिक्कत थी। दिल्ली में डॉक्टरों से चेकअप करवाया पर कोई फायदा नहीं हुआ। जब घर जाने की सोची तो लॉकडाउन हो गया। किराये के कमरे में अपनों से दूर अकेले ही काफी समय बिताया और बीमारी का भी सामना किया पर हिम्मत नहीं हारी। इजाजत मिलने पर टैक्सी से घर पहुंचे तो सांस लेने की दिक्कत बढ़ गई।
बकौल प्रताप, इस बारे में फोन कर प्रशासन को सूचना दी। अस्पताल पहुंचे तो कोरोना पॉजिटिव पाए गए पर हिम्मत नहीं हारी। पत्नी और बेटी ने हौसला बढ़ाया और इसका परिणाम यह हुआ कि 18 दिन बाद अस्पताल से स्वस्थ होकर घर पहुंचे हैं। साथ ही कोविड अस्पताल धर्मशाला और मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल टांडा के डॉक्टरों का भी आभार जताया है। उनका कहना है कि प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं का कोई मुकाबला नहीं है।
आठ मई को पहुंचे थे चौंधा
प्रताप चंद आठ मई को दिल्ली से टैक्सी में घर चौंधा पहुंचे थे। 10 मई को सांस लेने में दिक्कत हुई। इस बीच उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को इस बारे में सूचित किया। स्वास्थ्य विभाग की एंबुलेंस में उन्हें जोनल अस्पताल धर्मशाला लाया गया तो रिपोर्ट कोरोना पॉजीटिव आई। धर्मशाला में इलाज के बाद टांडा मेडिकल कॉलेज भेजा और वीरवार को स्वस्थ होकर घर पहुंचे हैं।
- बीमारी से डरें नहीं बल्कि हिम्मत से काम लें। वह ही इस बीमारी से जीत पाएगा जो इससे लडऩे की हिम्मत रखता हो। कोरोना संक्रमित लोगों से भेदभाव न करें। नियमों का जरूर पालन करें। -प्रताप चंद।
- हम खुश हैं कि पिता स्वस्थ होकर घर लौटे हैं। अस्पताल में उन्हें हरसंभव सुविधा मिली है। अगर कोई इस बीमारी से पीडि़त हो तो वह इसे छुपाए नहीं बल्कि आगे आए। हमने भी ऐसा किया और आज पिता जी स्वस्थ हैं। -दीक्षा, बेटी।