कांग्रेस नेता सुधीर शर्मा का सरकार पर निशाना, बोले- अभिभावकों को डराने की बजाय समझाया जाए
Congress Leader Sudhir Sharma कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव सुधीर शर्मा ने कहा प्रदेश सरकार स्कूल खोलने को लेकर हड़बड़ी दिखा रही है। इससे लगता है कि सरकार व अधिकारी खुद संक्रमण को बढ़ावा देने को न्योता दे रहे हैं।
शिमला, जागरण संवाददाता। कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव सुधीर शर्मा ने कहा प्रदेश सरकार स्कूल खोलने को लेकर हड़बड़ी दिखा रही है। इससे लगता है कि सरकार व अधिकारी खुद संक्रमण को बढ़ावा देने को न्योता दे रहे हैं। पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव सुधीर शर्मा ने कहा छह महीनों तक केंद्र सरकार शैक्षणिक संस्थानों को खोलने के लिए अपने निर्णयों को लागू करती रही। लेकिन जब सरकार की अपनी नाकामियों की वजह से कोरोना हर जगह फैल गया तो केंद्र ने राज्यों को शैक्षणिक संस्थान खोलने के लिए अधिकृत कर दिया, खुद अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लिया।
उन्होंने कहा हैरानी तो इस बात की है कि प्रदेश में भी सरकार व शिक्षा विभाग ने स्कूलों को खोलने के लिए अभिभावकों को अपने जोखिम पर स्कूल भेजने के तुगलकी निर्देश जारी कर दिए। मतलब यदि कोई बच्चा संक्रमित होता है तो उसके लिए सरकार नहीं अभिभावक जिम्मेदार होंगे यह कैसा फैसला है।
एक तरफ केंद्र व राज्य सरकार कह रही है कि त्योहारों में संक्रमण चरम पर पहुंचेगा। लेकिन वहीं दूसरी ओर त्योहारों के दिनों में स्कूल खोले जा रहे हैं। यह ठीक है कि बच्चों की बोर्ड कक्षाओं के लिए स्कूल खुलने जरूरी हैं लेकिन क्या इतनी जल्दबाजी में खुलने चाहिएं कि जब सरकार खुद ही इन दिनों संक्रमण बढऩे की आंशका व्यक्त कर रही है। कालेज अभी नवंबर तक नहीं खुल रहे और स्कूलों को अभी खोल दिया गया है यह दूरदर्शिता नहीं अदूरदर्शिता है।
यह भी गलत है कि मां-बाप व अभिभावकों से किसी कागज पर हस्ताक्षर करवाकर यह कह देना कि अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार हैं। ज्यादातर अभिभावकों को तो यह भी नहीं पता कि उनसे ऐसा शपथ-पत्र लिया जा रहा है जिसमें लिखा है कि यदि बच्चों को कोरोना होता है तो वे खुद ही इसके लिए जिम्मेदार होंगे।
इसी तरह उन शिक्षकों व गैर शिक्षकों के लिए भी कोई बचाव नियम जारी नहीं किए जो पहले से गंभीर असाध्य रोगों से ग्रस्त हैं। स्कूल खुलने पर उनको संक्रमण से बचाना भी तो सरकार का दायित्व बनता है।
सरकार व विभाग को चाहिए कि दीपावली तक स्कूल न खोलने पर विचार करे और अभिभावकों से शपथ-पत्र लेने की बजाय उन्हें आश्वासन दिया जाए कि बच्चों के बचाव के लिए विभाग व सरकार हर संभव कार्य करेंगे। इस वक्त उन्हें डराने की बजाय समझाने पर कार्य होना चाहिए।