सूूखे की मार; समय से पहले आ गया सेब में रंग, नहीं पका फल
हिमाचल की बागवानी की रीढ़ कहे जाने वाले सेब में नई अवस्था देखने को मिली है। सूखे के कारण समय से पहले फल में रंग आ गया है। हालांकि फल अभी पका नहीं लेकिन इसे देख बागवान हैरान हैं।
शिमला, राज्य ब्यूरो। हिमाचल की बागवानी की रीढ़ कहे जाने वाले सेब में नई अवस्था देखने को मिली है। सूखे के कारण समय से पहले फल में रंग आ गया है। हालांकि फल अभी पका नहीं, लेकिन इसे देख बागवान हैरान हैं।
बागवानी विशेषज्ञों के अनुसार भूमि में पानी की कमी से पौधा बहुत स्ट्रेस या दबाव में है। इस कारण सूडो कलर यानी अप्राकृतिक रंग आया है। जैसे ही वर्षा होगी अभी आया रंग फीका पड़ेगा और असली रंग इसकी जगह लेगा। विशेषज्ञों के अनुसार ऐसी अवस्था हैरान करने वाली है, लेकिन इससे परेशान न हों। ऐसे में तूड़ान न करें, क्योंकि फल पका नहीं है। केवल बाहर से पका नजर आएगा। सूझबूझ दिखाएं, अगर तूड़ान कर लिया तो बाजार में दाम वैसे नहीं मिलेंगे जैसे बारिश होने पर आकार बढऩे पर मिल सकते हैं।
स्पर ही नहीं रायल किस्म पर भी असर
सूखे का असर न केवल स्पर बल्कि रायल किस्म पर भी पड़ रहा है। रायल को सेब का राजा कहा जाता है, लेकिन इसमें भी समय से पहले रंग आ रहा है। ऐसा दशकों बाद ही हो रहा है। इससे बागवानों की चिंता बढ़ गई है। भूमि में पानी की उपलब्धता कम होने या बिल्कुल खत्म होने से होता है।
आसमान पर टिकी निगाहें
अब बागवानों की नजर आसमान पर टिकी हुई है। वे वर्षा का इंतजार कर रहे हैं। मानसून आने का बेसब्री से इंतजार कर रह हैं। कई बागवान तो मौसम विज्ञानियों से भी बराबर संपर्क में हैं।
रंग आ गया पहले
बागवानों का कहना है कि रंग पहले आ गया है। कई जगह तो इसे देखते हुए तूड़ान करने की सोच रहे हैं। जुब्बल के सराचली क्षेत्र के गोङ्क्षवद चितरांटा, कुल्लू के आनी क्षेत्र के जीत राम चौहान कहते हैं रायल में रंग आना ङ्क्षचतित कर रहा है। ऐसा सूखा पहले नहीं देखा।
अभी रंग आना प्राकृतिक नहीं, अप्राकृतिक अवस्था है। सेब का पौधा स्ट्रेस में है। इसे पानी की जरूरत है। बागवान इस स्टेज में तूड़ान न करें। अभी फल नहीं पका है। इसे तकनीकी भाषा में सूडो कलर कहते हैं। वर्षा ही इसका एकमात्र समाधान है। बारिश होगी तो आकार भी बढ़ेगा और असली रंग भी आएगा।
-डा. एसपी भारद्वाज, बागवानी विशेषज्ञ।