जयराम बोले सुजान सिंह पठानिया का समर्पण भाव सबके लिए प्रेरक साथियों ने भी किया याद
सात बार के विधायक और तीन बार मंत्री रहे सुजान सिंह पठानिया के देहांत पर मुख्यमंत्री समेत अन्य नेताओं ने शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका समर्पण का भाव हमेशा सबके लिाए प्रेरणा का काम करेगा।
धर्मशाला, जागरण संवाददाता। वन विभाग में रेंजर के पद पर कार्यरत रहने के बाद राजनीति में आए पूर्व मंत्री सुजान सिंह पठानिया के शुक्रवार को देहांत के बाद कई नेता शोक व्यक्त कर रहे हैं। कांगड़ा जिले के फतेहपुर से विधायक सुजान सिंह पठानिया स्वच्छ छवि और सीधी बात करने के लिए जाने जाते थे। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी इंटरनेट मीडिया पर पर शोक व्यक्त किया है।
बकौल मुख्यमंत्री, ' फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक एवं पूर्व मंत्री श्री सुजान सिंह पठानिया जी के निधन का दुःखद समाचार मिला। सरल स्वभाव के धनी पठानिया जी ने सदैव समर्पण भाव से जनसेवा की है,जो प्रेरणादायक है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें तथा शोकग्रस्त उनके परिवार को संबल प्रदान करें।'
कांगड़ा से कांग्रेस के बड़े नेता जीएस बाली ने भी शोक व्यक्त करते हुए कहा कि पठानिया एक ईमानदार नेता थे और प्रदेश के विकास में उनका हमेशा योगदान रहा है। भगवान दिवंगत आत्मा के परिवार को सहनशक्ति प्रदान करे।
कांग्रेस की कद्दावर नेता आशा कुमारी ने भी शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उन जैसे अद्भुत व्यक्तित्व को केवल कांग्रेस ही नहीं, प्रदेश भी याद करेगा। विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने भी शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करते हुए अपने साथी को याद किया।
इंटरनेट मीडिया पर कई लोग सात बार के विधायक और तीन बार के मंत्री सुजान सिंह पठानिया को याद कर रहे हैं।
वीरभद्र से कह दिया था, आपके कारण लेट होता हूं
हिमाचल प्रदेश के एक पत्रकार संजीव शर्मा ने भी एक किस्सा साझा किया है। उनके मुताबिक एक बार वीरभद्र सिंह शीतकालीन प्रवास पर धर्मशाला पहुंचे। जब आगे चलने को हुए तो तेज़ी से एक मारुति 800 कार हेलीपैड वाले ग्राउंड में घुसी। बीच में पार्क हुई और एक लंबा चौड़ा व्यक्ति उससे उतरा। जल्दी जल्दी पिछली सीट पर बैठे व्यक्ति से गुलदस्ता पकड़ा और मुख्यमंत्री की तरफ लपका।
उसे देखते ही वीरभद्र बोले.... मिस्टर लेट हो गए ? जवाब मिला, ' जनाब लेट तो आपने कर रखा है। ऊपर से मेरे पास यही मारुति है जो तेज नहीं चल सकती। मेरा सिर उसकी छत के साथ अटकता और मुझे उकड़ू होकर बैठना पड़ता है। साथ ही अर्जी लगाई कि कुछ करो ताकि मैं समय पर आऊं। वीरभद्र मुस्कुराए। शीतकालीन प्रवास समाप्त हुआ तो मंत्रिमंडल विस्तार में वही सज्जन मंत्री बना दिए गए।
गौरतलब है कि सुजान सिंह पठानिया करीब तीन साल से बीमार चल रहे थे और उन्हें कई रोगों ने घेर रखा था। रेंजर का पछा छोड़ने के बाद वह जनता पार्टी में शामिल हुए थे और 1980 में वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे।