ज्वालामुखी में धर्मार्थ सरायों में मनमर्जी से वसूले जा रहे दाम, नहीं कोई नियंत्रण, धवाला विस में उठाएंगे मुद्दा
Charitable Places Jawalamukhi हिमाचल प्रदेश में शायद ही कोई ऐसा स्थान हो जहां पर धर्मार्थ सराय न हो। चाहे वह पर्यटक स्थल हो देवस्थान हो या कोई बड़ा शहर हो हर जगह धर्मार्थ सरायों के नाम पर खड़े संस्थान दिखाई देते हैं। लेकिन इनके अंदर क्या चल रहा है।
ज्वालामुखी, जेएनएन। हिमाचल प्रदेश में शायद ही कोई ऐसा स्थान हो जहां पर धर्मार्थ सराय न हो। चाहे वह पर्यटक स्थल हो देवस्थान हो या कोई बड़ा शहर हो, हर जगह धर्मार्थ सरायों के नाम पर खड़े संस्थान दिखाई देते हैं। लेकिन इनके अंदर क्या चल रहा है। इसकी शायद लोगों को ज्यादा जानकारी न हो। ज्वालामुखी क्षेत्र की बात करते हैं, जहां पर कई धर्मशालाएं धर्मार्थ सराय के रूप में बनाई गई हैं। लेकिन कुछ एक को छोड़ कर अधिकांश में यहां पर धर्मार्थ कुछ नहीं होता है, यहां पर होटल की तरह यात्रियों से मनमाने पैसे वसूले जा रहे हैं। यहां पर एसी कमरे और अटैच बाथरूम, कमरे बनाए गए हैं और यात्रियों से मुंह मांगे दाम वसूल किए जा रहे हैं। सरकार को टैक्स के नाम पर एक रुपये की आय इन संस्थाओं से नहीं हो रही है।
कुछ बेनामी संपत्तियां सरकार अपने अधीन भी ली
कुछ समय पहले ज्वालामुखी में ऐसी ही कुछ निर्माणाधीन सरायों को बेनामी संपत्ति के रूप में सरकार ने अपने अधीन भी लिया है। जिनके मामले न्यायालय में चल रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि विवाह शादियों के लिए जब इनसे संपर्क किया जाता है तो यह हजारों रुपये की मांग करते हैं फिर यह किस तरह के धर्मार्थ संस्थान हैं। जिसका स्थानीय लोगों को कोई फायदा नहीं है। यह तो सिर्फ होटल की तरह यहां उगाही कर रहे हैं।
धर्मार्थ सरायों का किया जाए सरकारीकरण व लगाया जाए टैक्स
लोगों ने सरकार से मांग की है कि या तो इन सभी धर्मार्थ सरायों का सरकारीकरण कर दिया जाए या फिर इन पर टैक्स लगाया जाए, ताकि सरकार को राजस्व प्राप्त हो सके और इन सभी धर्मार्थ सरायों में स्थानीय लोगों को भी ट्रस्ट सदस्य के रूप में शामिल करने के लिए एक्ट बनाया जाए, ताकि स्थानीय लोग यहां समाज सेवा के क्षेत्र में भी कुछ सहयोग कर सकें। लोगों ने सरकार से मांग की है कि ऐसे सभी धर्मार्थ संस्थाओं, सरायों की जांच करवाई जाए। वहां पर कितने कमरे सादे और कितने होटल नुमा कमरे बनाए गए हैं, जिनसे कितने पैसे चार्ज किए जा रहे हैं।
इन संस्थाओं का कौन कर रहा प्रबंधन हो सार्वजनिक
लोगों ने यह भी मांग की है कि इन संस्थानों का प्रबंधन कौन कर रहा है, यह भी सार्वजनिक किया जाना चाहिए। आरोप है कि यह संस्थान यथाशक्ति दान की आड़ में चलाए हुए हैं। जब कोई जांच करता है तो बताते हैं कि इच्छा अनुसार दान लिया जाता है और जब नवरात्रि लगते हैं या सीजन शुरू होता है तो मनमर्जी के रेट यात्रियों से वसूले जाते हैं। ऐसे में इन सभी धार्मिक धर्मार्थ ट्रस्ट संस्थानों को टैक्स के दायरे में लाया जाना चाहिए।
विधासभा में उठाएंगे मामला
विधायक एवं राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रमेश धवाला का कहना है लंबे समय से ऐसी शिकायतें आ रही हैं और वे शीघ्र ही इस मामले को विधानसभा में उठाने के लिए तैयार हो रहे हैं तथ्य जुटाए जा रहे हैं। पुख्ता तरीके से इस मामले को विधानसभा में उठाया जाएगा, ताकि इन सभी संस्थानों को टैक्स के दायरे में लाकर सरकार को राजस्व में बढ़ोतरी हो सके। कुछ तथाकथित बेनामी संपत्ति को सरकार अपने कब्जे में ले सके।