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इतिहास विभाग, नवीन इतिहास लेखन का काम करे: कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल

कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने कहा कि जब आजादी के दीवानों ने मातृभूमि के लिए अपना सर्वस्व अर्पित किया तो एक ही सपना देखा और वह था स्व जागरण का। क्रांतिकारियों की संकल्पना के अनुरूप पुनः स्व की प्राप्ति का अब सुनहरा अवसर है।

By Richa RanaEdited By: Published: Fri, 24 Sep 2021 08:46 AM (IST)Updated: Fri, 24 Sep 2021 08:46 AM (IST)
इतिहास विभाग, नवीन इतिहास लेखन का काम करे:  कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल
हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग ने राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी का आयोजन किया।

धर्मशाला, जागरण संवाददाता। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने कहा कि जब आजादी के दीवानों ने मातृभूमि के लिए अपना सर्वस्व अर्पित किया, तो एक ही सपना देखा और वह था स्व जागरण का। उन क्रांतिकारियों की संकल्पना के अनुरूप पुनः स्व की प्राप्ति का अब सुनहरा अवसर है और इतिहास विभाग इस ओर नवीन इतिहास लेखन की ओर काम करे।

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वे हिमाचल प्रदेश केंदरीय विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग की ओर से ‘स्वतंत्रता समर में ‘स्व’ जागरण (हिमाचल प्रदेश के विशेष संदर्भ में)’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी की बतौर अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे।

संगोष्ठी के प्रमुख वक्ता आखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना, नई-दिल्ली के संगठन सचिव डॉ. बालमुकुंद पांडेय एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. हरमोहिन्द्र सिंह बेदी रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में इतिहास शोध संस्थान के निदेशक चेतराम गर्ग मौजूद रहे। इस मौके पर मुख्य वक्ता डॉ. बालमुकुंद पाण्डेय ने कहा कि अमृत महोत्सव की संकल्पना में आयोजित यह संगोष्ठी भारतीय इतिहास लेखन को एक कदम साबित हो।

वहीं कुलाधिपति डॉ. हरमोहिन्द्र सिंह बेदी ने कहा कि जलियांवाला बाग की घटना ने भारत में क्रांति की लहर को हवा दी और स्व जागरण में इस घटना ने अपना अमूल योगदान दिया। संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि डॉ. चेतराम गर्ग ने हिमाचल प्रदेश में स्व जागरण की भूमिका पर बल देते हुए अनेक क्रांतिकारी घटनाओं के उदाहरण प्रस्तुत किए जो देश में हिमाचल की अमूल्य भूमिका को साबित करती हैं और यह प्रस्तुत करती हैं कि हिमाचल प्रदेश देश के उन प्रदेशों में शामिल था जो आजादी के लिए सर्वत्र त्याग करने को तैयार थे।

वहीं संगोष्ठी में पं. दीनदयाल उपाध्याय पर सहायक आचार्य डॉ. सुनीता वोध की पुस्तक का विमोचन भी किया गया। राष्ट्रीय संगोष्ठी का संचालन डॉ. चन्द्रदीप सिंह ने किया एवं अतिथि स्वागत विभाग अध्यक्ष प्रो. नारायण सिंह राव ने किया। संगोष्ठी के संयोजक डॉ. राघवेन्द्र यादव ने अतिथियों एवं समस्त प्रतिभागियों का धन्यवाद दिया। इस संगोष्ठी में विवि की समस्त संकाय सहित काफी संख्या में छात्र और शोधार्थी उपस्थित रहे।


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