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चंबा से बड़ा चंबी का दिल

chambi ground एक दौर था यह इलाका चंबा व त्रिगर्त के राजाओं के बीच लड़ाई का रण होता था। आज जमाना बदल गया है। अब यह मैदान तलवारों से लड़ाई का नहीं लेकिन राजनीति का कुरुक्षेत्र है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Mon, 25 Mar 2019 02:41 PM (IST)Updated: Mon, 25 Mar 2019 02:44 PM (IST)
चंबा से बड़ा चंबी का दिल
चंबा से बड़ा चंबी का दिल

धर्मशाला, जेएनएन। कुछ बातें अकसर जहन में रहती हैं। कई बार उनके ऐतिहासिक मायने होते हैं तो कई बार सियासी। दोनों ही मायने लोगों के लिए यादगार लम्हें बन जाते हैं। एक दौर वो भी था, जब त्रिगर्त (कांगड़ा) रियासत और चंबा रियासत के राजाओं में नेरटी में भीषण युद्ध हुआ। त्रिगर्त के राजा संसार चंद से चंबा के राजा राज सिंह हार गए। मगर राज सिंह को भक्ति से इतनी शक्ति मिली थी कि बिना सिर के धड़ पैरों पर चलता रहा और विरोधी राजा का मुकाबला करता रहा। नेरटी से ही कुछ दूरी पर एक खुला स्थान है चंबी। यही चंबी तत्कालीन चंबा और त्रिगर्त रियायत की सीमा मानी जाती थी।

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एक दौर था यह इलाका चंबा व त्रिगर्त के राजाओं के बीच लड़ाई का रण होता था। आज जमाना बदल गया है। अब यह मैदान तलवारों से लड़ाई का नहीं लेकिन राजनीति का कुरुक्षेत्र है। चाहे नरेंद्र मोदी हों या राहुल गांधी कई बड़े नेता यहां से राजनीतिक द्वंद्व लड़ चुके हैं। राजनीतिक गलियारों में यह नाम अब मशहूर है। प्रदेश ही नहीं देश के नेताओं की रैली का बोझ यह मैदान उठा रहा है। कसूर इतना है कि आकार बड़ा है, राजनीतिक कार्यक्रम करवाने की किसी से अनुमति की कोई जरूरत नहीं पड़ती। ऊपर से माननीयों की गाडिय़ों को खड़ा करने के लिए भी खुला स्थान है।

खड्ड किनारे होने के कारण आसपास भी काफी खुला क्षेत्र है। अकसर सभ्यता नदियों के किनारे ही पनपती आई हैं। चंबी मैदान भी इनमें एक है। मंडी से पठानकोट जाते हुए अमृतसर पहुंच जाएंगे, पठानकोट से मंडी पहुंच जाएंगे लेकिन चंबी मैदान वहीं खड़ा है। चंबी का नाम स्त्रीलिंग होते हुए चंबा जिसे अचंभा कहा जाता है, इससे बड़ा प्रतीत होता है। धौलाधार के आगोश में नदी किनारे इस मैदान में बदलाव यही आया है, पहले से आकार और बढ़ गया है। बीस साल पहले जो गड्ढे थे, वह अब भर चुके हैं। चुनावी माहौल में यह मैदान फिर से बड़ी राजनीतिक सभा का गवाह बनने को तैयार है।

चंबा से सटा होने के कारण चंबी मैदान कांगड़ा संसदीय क्षेत्र का मध्य बिंदु है, यह भी एक वजह है कि इसे तवज्जो दी जाती है और चंबी मैदान चंबा से बड़ा प्रतीत होता है। इसकी देखरेख का जिम्मा रैत व लदवाड़ा पंचायतें बखूबी निभा रही हैं। यह राजनीति ही नहीं युवाओं के लिए खेल बेहतर खेल मैदान भी है।


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