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265 करोड़ के छात्रवृत्ति घाेटाले में शिक्षा विभाग अधीक्षक के खिलाफ होगी सीबीआइ जांच, पढ़ें पूरा मामला

छात्रवृत्ति घोटाले में शिक्षा विभाग के अधीक्षक अरविंद राज्टा के खिलाफ सीबीआइ जांच होगी।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Sat, 07 Dec 2019 12:42 PM (IST)Updated: Sat, 07 Dec 2019 03:42 PM (IST)
265 करोड़ के छात्रवृत्ति घाेटाले में शिक्षा विभाग अधीक्षक के खिलाफ होगी सीबीआइ जांच, पढ़ें पूरा मामला
265 करोड़ के छात्रवृत्ति घाेटाले में शिक्षा विभाग अधीक्षक के खिलाफ होगी सीबीआइ जांच, पढ़ें पूरा मामला

शिमला, जेएनएन। छात्रवृत्ति घोटाले में शिक्षा विभाग के अधीक्षक अरविंद राज्टा के खिलाफ सीबीआइ जांच होगी। सूत्रों के मुताबिक 265 करोड़ के घोटाले की जांच के लिए प्रधान सचिव शिक्षा ने मंजूरी दे दी है। इस संबंध में जांच एजेंसी के शिमला कार्यालय को पत्र प्राप्त हो गया है। अब बैंकों से भी स्वीकृति का इंतजार है। कुछ बैंक कर्मचारियों, अधिकारियों की भी संलिप्तता के पुख्ता सुबूत मिले हैं। इनके आधार पर सीबीआइ ने इनके राष्ट्रीय मुख्यालय को पत्र लिखे हैं।

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संशोधित प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट पीसी में कोई भी एजेंसी सरकार की इजाजत के बगैर जांच नहीं कर सकती है। कोर्ट में चार्जशीट तब तक दाखिल नहीं होती, जब तक सरकार अभियोजन मंजूरी नहीं देती। रिटायर अफसरों की भी चार्जशीट बिना अभियोजन स्वीकृति के कोर्ट में दायर नहीं हो पाती है।

22 संस्थानों में दी थी दबिश

सीबीआइ ने मई में हिमाचल, पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ में 22 शैक्षणिक संस्थानों पर दबिश दी थी। हिमाचल में शिमला, सिरमौर, सौलन, ऊना, बिलासपुर, चंबा व कांगड़ा स्थित कई शैक्षणिक संस्थानों के अलावा करनाल, मोहाली, नवांशहर, अंबाला व गुरदासपुर में भी संस्थानों पर दबिश दी थी।

राज्टा के तीन ठिकानों पर दी थी दबिश

शिक्षा विभाग में अधीक्षक अरविंद राज्टा के तीन ठिकानों पर कुछ माह पहले तीन टीमों ने शिमला के ढली, भट्ठाकुफर और कलबोग में दबिश दी थी। उसके घर से हार्ड डिस्क, पैन ड्राइव, बैंक पासबुक, चेक समेत कई दस्तावेज कब्जे में लिए गए थे। घोटाले के समय राज्टा शिक्षा निदेशालय में वरिष्ठ सहायक तैनात था। अभी वह मशोबरा के बल्देयां स्कूल में अधीक्षक है।

यह है पूरा मामला

वर्ष 2013-14 से 2016-17 तक 924 निजी संस्थानों के विद्यार्थियों को 210.05 करोड़ रुपये और 18682 सरकारी संस्थानों के विद्यार्थियों को मात्र 56.35 करोड़ रुपये छात्रवृत्ति के दिए गए। आरोप है कि कई संस्थानों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर छात्रवृत्ति की रकम हड़प ली। जनजातीय क्षेत्रों के विद्यार्थियों को कई साल तक छात्रवृत्ति नहीं मिली। एक छात्र की शिकायत के बाद फर्जीवाड़े से पर्दा उठा। वर्ष 2013-14 से वर्ष 2016-17 तक प्री और पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप के तौर पर विद्यार्थियों को 266.32 करोड़ रुपये दिए गए। इनमें गड़बड़ी पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप में हुई है। छात्रवृत्ति की जो राशि प्रदेश के विद्यार्थियों को मिलनी थी, उसे देशभर में गलत तरीके से बांटे जाने का आरोप है।


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