शिव नगरी में हाईवे किनारे खड्ड में जलाया जा रहा कचरा, वाहनों में सवार लोगों का भी घुट रहा दम
Burning Trash in Khadd प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेशक स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति गंभीर हैं परबैजनाथ में यह सरोकार मायने नहीं रखते हैं।
बैजनाथ, मुनीष दीक्षित। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेशक स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति गंभीर हैं परबैजनाथ में यह सरोकार मायने नहीं रखते हैं। यहां दो कस्बोंं के कचरे को स्वच्छ खड्ड बिनवा के किनारे फेंककर पानी को दूषित किया जा रहा है। साथ कूड़े के ढेर में आग लगने से फैल रहे धुएं से लोगों के स्वास्थ्य के साथ से भी खिलवाड़ किया जा रहा है। यह सिलसिला पिछले कई सालों से बदस्तूर जारी है। नगर पंचायत के प्रतिनिधि हर बार नई डंपिंग साइट बनाने की बात करते हैं पर धरातल पर आज तक कोई परिणाम सामने नहीं आ पाए हैं।
नगर पंचायत बैजनाथ-पपरोला की डंपिंग साइट पठानकोट-मंडी एनएच के किनारे है। यहां कूड़े की गंदगी से लगातार बदबू आती है और जब आग लगती है तो पूरा इलाका धुएं से भर जाता है। इस स्थान से महज 50 मीटर की दूरी पर मिनी हरिद्वार यानी खीर गंगा घाट है और उसके ठीक ऊपर ऐतिहासिक शिव मंदिर है। यहां धुएं के बीच वाहनों में बैठे यात्रियों का दम घुटने लग पड़ता है। साथ ही मंदिर को भी नुकसान पहुंच सकता है।
क्या कहते हैं अधिकारी
- किसी भी जलस्रोत में कचरा नहीं फेंका जा सकता है। इससे जल प्रदूषित होता है तथा पेयजल योजनाएं प्रभावित हो सकती है। बिनवा खड्ड क्षेत्र में पेयजल व सिंचाई का एक बड़ा स्रोत है। इस मामले में नगर पंचायत से बात की जाएगी। -अमित चौधरी, सहायक अभियंता जल शक्ति विभाग बैजनाथ।
- समस्या का जल्द समाधान होगा। नई डंपिंग साइट देख ली है और जल्द टेंडर करवाए जाएंगे। मंगलवार को कुछ बच्चों ने आग लगा दी थी। इसके बाद मौके पर नगर पंचायत के सफाईकर्मी तथा फायर ब्रिगेड पहुंची और आग बुझाई। -छवि नांटा, एसडीएम, बैजनाथ।
- धुएं से कैंसर, अस्थमा, एलर्जी, सीओपीडी सहित श्वास से जुड़े रोग हो सकते हैं। यदि कचरा पीने वाले पानी में मिल जाए तो इससे लोगों को पीलिया, टायफाइड व डायरिया सहित पेट से जुड़े रोग हो सकते हैं। -डॉ. विजय चौधरी, आयुर्वेदिक कॉलेज में कायचिकित्सा मेडिसन विभाग के अध्यक्ष।
कहां फंसा है पेंच
बैजनाथ व पपरोला सहित दो अन्य पंचायतों को जोड़कर वर्ष 2016 में बैजनाथ-पपरोला नगर पंचायत का गठन किया गया। चार साल में भी नगर पंचायत को पूरा स्टाफ नहीं मिल पाया है। आज तक यहां किसी स्थायी सचिव की नियुक्ति नहीं हुई है। कूड़ा उठाने का टेंडर हो गया था मगर डंपिंग साइट का प्रबंध नहीं हो पाया है।