आशीष ने ओलंपिक क्वालीफाइ कर दी गुरु दक्षिणा, नौ साल की उम्र से ही शुरू कर दिया था प्रशिक्षण लेना
ओलंपिक क्वालीफायर बॉक्सर आशीष चौधरी भी एक ऐसे शिष्य हैं जिन्होंने ओलंपिक क्वालीफाइ कर स्वर्गीय पिता का सपना तो साकार किया ही साथ ही गुरु का सिर भी गर्व से ऊंचा कर दिया।
मंडी, मुकेश मेहरा। कहते हैं जिसके पास बेहतर गुरु और गुरु के समान पिता है उसके सपनों की उड़ान को कोई नहीं रोक सकता। टोक्यो ओलंपिक क्वालीफायर बॉक्सर आशीष चौधरी भी एक ऐसे ही शिष्य हैं, जिन्होंने ओलंपिक क्वालीफाइ कर स्वर्गीय पिता का सपना तो साकार किया ही, साथ ही अपने गुरु का सिर भी गर्व से ऊंचा कर दिया। आशीष चौधरी ने नौ साल की उम्र में ही अपने गुरु वर्तमान में जिला खेल अधिकारी नरेश कुमार से बॉक्सिंग की कोचिंग लेना शुरू कर दी थी।
नरेश कुमार बताते हैं कि आशीष में सीखने की ललक थी और उससे ज्यादा उनके पिता स्वर्गीय भगतराम जी आशीष के खेल पर नजर रखते थे। उन्होंने कहा कि मैं गुरु होने के नाते उसे जिस तरह से मार्गदर्शन करता, आशीष उसी तरह से काम करते, लेकिन उनके पिता आशीष के हर मैच से पहले उसके प्रतिद्वंद्वी की पूरी जानकारी हासिल कर लेते, कि वह आशीष से किस मामले में आगे है। हम लोग उसी तरह योजना बनाते। ओलंपिक क्वालीफाई मैच से पहले भी उन्होंने आशीष के प्रतिद्वंद्वियों की पूरी जानकारी हासिल की थी।
उन्हीं का सपना था कि आशीष ओलंपिक खेलें, आशीष भी ओलंपिक के लिए क्वालीफाइ कर अपने पिता को सच्ची श्रद्धांजलि दी है। वहीं आशीष बताते हैं कि मेरे गुरु नरेश कुमार जी के साथ मेरा तालमेल बेहतरीन है। हर मुसीबत के वक्त वह मेरे साथ चट्टान की तरह खड़े रहें। उसी तरह मेरे पिता जी ने मेरी हर कमजोरी को मेरी ताकत बनाने में भूमिका अदा की। उन्हीं का आशीर्वाद है कि मैं ओलंपिक क्वालीफाइ कर पाया।
मैसेज कर बताया था आशीष को पिता का सपना
कोच नरेश कुमार बताते हैं कि आशीष के पिता स्वर्गीय भगतराम ने उसके ओलंपिक खेलने की इच्छा मुझे बताई थी। मैने क्वालीफाई मैच से पहले आशीष को मैसेज कर यह जानकारी दी। जिस दिन उसने ओलंपिक क्वालीफाई मैच जीता उसने सबसे पहले यह जीत अपने पिता के नाम की।