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शांता कुमार ने जताई नाहन जेल जाने की इच्‍छा, सरकार से मांगी अनुमति; जानिए पूरा मामला

Shanta Kumar Visit jail भाजपा के वरिष्‍ठ नेता एवं पूर्व मुख्‍यमंत्री शांता कुमार ने एक बार फ‍िर नाहन जेल जाने की इच्‍छा जताई है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Thu, 05 Mar 2020 01:33 PM (IST)Updated: Thu, 05 Mar 2020 03:35 PM (IST)
शांता कुमार ने जताई नाहन जेल जाने की इच्‍छा, सरकार से मांगी अनुमति; जानिए पूरा मामला
शांता कुमार ने जताई नाहन जेल जाने की इच्‍छा, सरकार से मांगी अनुमति; जानिए पूरा मामला

पालमपुर, जागरण संवाददाता। भाजपा के वरिष्‍ठ नेता एवं पूर्व मुख्‍यमंत्री शांता कुमार ने एक बार फ‍िर नाहन जेल जाने की इच्‍छा जताई है। उन्‍होंने कहा कि जिस जेल के कमरे में 19 माह बिताए, वह नाहन जेल एक तीर्थ है। एक बार फिर इस कमरे को देखने की इच्छा है। मेरे वह साथी जो इस दौरान जेल में साथ थे, अगर उन्हें भी बुला लिया जाए। शांता कुमार ने प्रदेश सरकार से नाहन जेल जाने की अनुमति मांगी है। एक साहित्यिक संस्था के निमंत्रण पर सात मार्च को शांता कुमार नाहन जा रहे हैं। लिहाजा इस कार्यक्रम के माध्यम से वह नाहन जेल में पहुंच कर अपने बीते समय को भी याद करना चाहते हैं।

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मीडिया को जारी बयान में भाजपा नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा कि वह एक साहित्यक संस्था के निमंत्रण पर 7 मार्च को नाहन जा रहे हैं। उन्होंने सरकार से नाहन जेल में जाने की अनुमति भी मांगी है, क्योंकि उनके लिए नाहन जेल एक तीर्थ है जहां उन्होंने जीवन के 19 माह बिताए थे। शांता कुमार ने यहां बहुत बड़ी साधना की आैर जेल के उसी कमरे में बैठकर चार पुस्तकें भी लिखी थी।

नाहन जेल के उस समय के उनके साथी राधा रमण शास्त्री, मोहिंद्र नाथ सोफ्त आैर श्यामा शर्मा भी इक्ट्ठे हो रहे हैं। उन्होंने कहा यदि उस समय के आैर हमारे साथी हों तो उन्हें भी बुला लिया जाए। शांता ने कहा उन्होंने जीवन के 85 वर्ष पूरे कर लिए हैं। होश संभालने के बाद लगातार दिन-रात 19 महीने वह कहीं भी नहीं रहे। केवल नाहन जेल के उस कमरे में ही रहे हैं। उनके लिए वे कमरा एक आश्रम की तरह है। वह वहां जाकर उस कमरे की दीवाराें का धन्यवाद करना चाहते हैं, जिन्होंने 19 महीने तक उन्हें संभाल कर रखा था।

शांता कुमार ने कहा कि भारत में 1975 का आपातकाल एक एेसा काला अध्याय है, जब सारे देश को जेलखाना बना दिया गया। जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, मोरारजी देसाई जैसे नेताआें व हजाराें कार्यकर्ताआें को जेल में डाल दिया गया था। जयप्रकाश नारायण ने अंग्रेजाें की जेल तोड़कर भी आजादी की लड़ाई लड़ी थी। लेकिन आजाद भारत की जेल में उन्हें बंद करके देश का दुश्मन कहा गया था। विश्व के किसी लोकतंत्र में इस प्रकार आजादी का गला नहीं घाेंटा गया था।


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