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बीड़ बिलिंग और पौंग झील में सरकार की इस योजना से निखरेगा पर्यटन Kangra News

हवाबाजी के खेल यानी पैराग्लाइडिंग के लिए विश्वभर में मशहूर बीड़ बिलिंग और पौंग बांध के विकास को पंख लगेंगे।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Tue, 03 Sep 2019 08:19 AM (IST)Updated: Tue, 03 Sep 2019 08:19 AM (IST)
बीड़ बिलिंग और पौंग झील में सरकार की इस योजना से निखरेगा पर्यटन Kangra News
बीड़ बिलिंग और पौंग झील में सरकार की इस योजना से निखरेगा पर्यटन Kangra News

धर्मशाला, जेएनएन। हवाबाजी के खेल यानी पैराग्लाइडिंग के लिए विश्वभर में मशहूर बीड़, बिलिंग और पौंग बांध के विकास को पंख लगेंगे। मुख्य रूप से धर्मशाला के पर्यटन विकास पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने धर्मशाला-मैक्लोडगंज रोपवे निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए प्रशासन को मई 2020 तक का अल्टीमेटम दिया। साथ ही कहा कि जून में रोपवे का उद्घाटन किया जाएगा। इसके अलावा हिमानी चामुंडा रोपवे निर्माण कार्य शीघ्र शुरू करने का आश्वासन दिया है। उपमंडल बैजनाथ की बिलिंग साइट में पैराग्लाइडिंग वर्ल्‍ड कप के अलावा कई राष्ट्रस्तरीय प्रतियोगिताएं हो चुकी हैं। यहां आए दिग्गज पायलट दावा कर चुके हैं कि पैराग्लाइडिंग के लिए बिलिंग से बेहतर विश्व में और कोई भी साइट नहीं है लेकिन इस साइट पर सुविधाएं नहीं हैं। अब बीड़ बिलिंग में नई मंजिल नई राहें योजना के तहत सात करोड़ खर्च किए जाएंगे और सभी सुविधाएं दी जाएंगी। इसके अलावा पौंग बांध को भी पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा। सरकार ने पर्यटन की दृष्टि से यहां कुछ सुविधाएं तो मुहैया करवाई हैं लेकिन अभी और योजनाओं की जरूरत है।

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बीड़ बिलिंग में 200 पायलट कमा रहे आजीविका

बीड़ बिलिंग साइट पर पैराग्लाइडिंग के माध्यम से क्षेत्र के 200 पायलट रोजगार प्राप्त कर रहे हैं। पंजीकृत पायलट पर्यटकों को टेंडम फ्लाइट करवाकर आजीविका कमाते हैं। पायलट अपने साथ एक पर्यटक को पैराग्लाइडर में बिठाता है और टेक ऑफ बोर्ड से लैंडिंग साइट पहुंचने तक करीब 20 से 30 मिनट हवा में सैर करवाता है। एक उड़ान में प्रति व्यक्ति 1500 रुपये लिए जाते हैं। लेकिन यहां अभी अव्यवस्थाओं का आलम है। टेक ऑफ बोर्ड में शौचालय और पाने के पानी तक की सुविधाएं नहीं हैं वर्ष 2015 में हुए वल्र्ड कप के समय टेक ऑफ साइट में लाखों की लागत से लगाई घास गायब हो गई है। विश्वकप के दौरान यहां एक साथ कई पायलटों के उड़ान भरने की सुविधा को देखते हुए प्राकृतिक रूप से बनी घाटी की टेक ऑफ प्वाइंट को एक भाग में मिट्टी डालकर बड़ा किया गया था। उस समय यहां बाहरी राज्यों से लाखों की लागत से हरी घास लगाई गई थी। हैरानी की बात है कि छह माह बाद ही घास गायब हो गई है।

बिलिंग में हो चुके हैं अंतरराष्ट्रीय आयोजन

वर्ष 2003 से अब तक बिलिंग साइट में कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय आयोजन हो चुके हैं। 2003 में यहां पहली बार पैराग्लाइडिंगग प्री वर्ल्‍ड कप हुआ था। इसके अलावा अब तक छह बार प्री-वर्ल्‍ड कप, दो बार एक्यूरेसी कप और 2015 में वर्ल्‍ड कप हो चुका है। इसके अलावा राष्ट्रस्तर का आयोजन हर साल होता है।

ये है अव्यवस्था

  • सड़क की हालत ठीक नहीं
  • पर्यटन विभाग का कोई होटल नहीं है।
  • बीड़ बिलिंग के 13 किलोमीटर के रास्ते में खान-पान का सामान खरीदने की कोई सुविधा नहीं है।
  • शौचालय नहीं हैं। आयोजन होने पर यहां ड्राइ टॉयलेट लाए जाते हैं।
  • टेक ऑफ प्वाइंट में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है।
  • बर्फबारी के बाद बीड़ से बिलिंग का सारा रास्ता खराब हो जाता है।

पौंग बांध में सुविधाएं

पौंग बांध क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए सरकार ने ई-रिक्शा, साइकिल, चौपहिया साइकिल व फाइवर वाली दो मोटर बोट शुरू की है। प्रति व्यक्ति किराया 300 रुपये है।

इन सुविधाओं की है जरूरत

  • पौंग झील के किनारे छोटे हट बनाए जाएं।
  • होम स्टे योजना शुरू हो, ताकि किनारे बसे लोगों के लिए आय के साधन पैदा हों।
  • मछली आधारित उद्योग लगाया जाए।

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