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अब चाह कर भी जुर्म नहीं छिपा सकेंगे अपराधी, हिमाचल में भी स्‍थापित होगी यह खास मशीन

BEOS Machine Establish अपराधी अपने दिमाग में चाह कर भी अब अापराधिक घटना की स्मृति नहीं छिपा पाएंगे।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Sun, 01 Mar 2020 03:24 PM (IST)Updated: Mon, 02 Mar 2020 06:31 AM (IST)
अब चाह कर भी जुर्म नहीं छिपा सकेंगे अपराधी, हिमाचल में भी स्‍थापित होगी यह खास मशीन
अब चाह कर भी जुर्म नहीं छिपा सकेंगे अपराधी, हिमाचल में भी स्‍थापित होगी यह खास मशीन

मंडी, हंसराज सैनी। अपराधी अपने दिमाग में चाह कर भी अब अापराधिक घटना की स्मृति नहीं छिपा पाएंगे। फॉरेंसिक विशेषज्ञों को इसके लिए अब गुजरात के गांधीनगर स्थित फॉरेंसिक साइंस निदेशालय में अपराधियों को लेकर नहीं जाना पड़ेगा। अब प्रदेश में ब्रेन इलेक्ट्रिकल ऑसिलेशन सिग्नेचर प्रोफाइलिंग (बीइओएस) टेस्ट संभव होगा। फॉरेंसिक विज्ञान सेवा निदेशालय जुन्गा में करीब एक करोड़ रुपये की लागत से बीईओएस मशीन लगाई जा रही है। मशीन बेंगलुरू से मंगवाई गई है। दो तीन दिन के अंदर इसके जुन्गा पहुंचने की उम्मीद है। अगले माह से बीईओएस टेस्ट होना शुरू हो जाएंगे। इसके लिए निदेशालय में फॉरेंसिक मनोविज्ञान विंग की स्थापना की गई है। फॉरेंसिक मनोविज्ञान से जुड़े विशेषज्ञों ने अपना कार्यभार संभाल लिया है।

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हर व्यक्ति के दिमाग में उसकी जिंदगी के महत्वपूर्ण घटनाक्रमों की स्मृति रहती है। वह अपराध से संबंधित भी हो सकती है। अपराध से जुड़े मामलों में अपराधी अकसर झूठ बोलते हैं। गुनाह कबूल करने से बचते हैं। इसके लिए नार्कों व पॉलीग्राफ जैसे कई अन्य टेस्टों का सहारा लेना पड़ता है। लंबी कानूनी प्रक्रिया रहती है। बीईओएस टेस्ट एक ईईजी (इलेक्ट्रोएंसेफलोग्राम) तकनीक है। इसमें इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिकल इंपल्स को हटाकर किसी अपराध में एक संदिग्ध की भागीदारी का पता लगाया जाता है।

किसी भी अपराधी का बीईओएस टेस्ट करवाने के लिए पहले फॉरेंसिक विशेषज्ञों को गांधीनगर निदेशालय से तारीख लेनी पड़ती थी। अकसर कई माह तक तारीख नहीं मिल पाती थी। एक टेस्ट करवाने का 55हजार रुपये शुल्क लिया जाता है। विशेषज्ञों को पुलिस सुरक्षा में अपराधी को गांधीनगर लेकर जाना पड़ता था। पुलिस कर्मियों को हमेशा अपराधी की सुरक्षा की चिंता सताती रहती थी।

ट्रेन में किसी हादसे का भय भी बना रहता था। रिपोर्ट मिलने में कई माह का समय लगता था। इतना ही नहीं कोर्ट में गवाही देने के लिए गांधीनगर निदेशालय के अधिकारी कई बार आनाकानी करते थे। आने जाने पर होने वाले खर्च के लिए मुंह मांगा पैसा मांगते थे।

प्रदेश में टेस्ट की सुविधा होने से रिपोर्ट भी जल्द मिलेगी। अपराधिक मामलों का निपटारा करने में विलंब नहीं होगा। इसके अलावा लाखों की लागत से इजराइल से लेयरड वॉयस एनालिसिस मशीन भी मंगवाई गई है। इस मशीन से किसी भी व्यक्ति की भावनाओं को आसानी से पढ़ा जा सकता है।

अगले माह से प्रदेश में बीईओएस टेस्ट होंगे। इसके लिए अब गांधीनगर नहीं जाना होगा। करीब एक करोड़ की लागत से बीईओएस मशीन स्थापित की जा रही है। -अरुण शर्मा, निदेशक फॉरेंसिक विज्ञान सेवा जुन्गा।


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