बाजार को देखकर आकार लेगा बांस, केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय ने आठ प्रस्ताव किए मंजूर
Bamboo Market in Himachal हिमाचल में अब बांस बाजार को देख कर आकार लेगा। कारीगरों का हुनर निखारा जाएगा और उन्हें मार्केटिंग के गुर सिखाए जाएंगे। कारीगर बांस से टोकरियां ही नहीं बनाएंगे बल्कि बाजार में ग्राहकों की मांग को देखते हुए बांस के सजावटी सामान भी बना सकेंगे।
शिमला, प्रकाश भारद्वाज। Bamboo Market in Himachal, पहाड़ी राज्य हिमाचल में अब बांस बाजार को देख कर आकार लेगा। कारीगरों का हुनर निखारा जाएगा और उन्हें मार्केटिंग के गुर सिखाए जाएंगे। कारीगर बांस से टोकरियां ही नहीं बनाएंगे, बल्कि बाजार में ग्राहकों की मांग को देखते हुए बांस के सजावटी सामान भी बना सकेंगे। केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय ने हिमाचल से भेजे गए 21 प्रस्तावों में से आठ मंजूर किए हैं। राज्य में चार वर्ष से हस्तशिल्प व हथकरघा प्रशिक्षण को बढ़ावा देते हुए 30 हजार कारीगरों को प्रशिक्षण व कौशल उन्नयन किया जा रहा है।
2020-21 में 21 प्रस्ताव केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय के हस्तशिल्प विकास आयुक्त को भेजे गए थे। सरकार ने कार्यक्रमों के तहत डिजाइनर की नियुक्ति भी की है, ताकि वे बाजार में बांस आधारित उत्पादों का सर्वेक्षण कर सकें। फिर उसके अनुसार बांस आधारित टोकरियां और ग्रामीण क्षेत्रों की जरूरत को देखते हुए सामान बनाने वाले कारीगरों को प्रशिक्षण देकर बाजार में उतार सकें।
सात जिलों में चलेंगे कार्यक्रम
राज्य के सात जिलों में आठ कार्यक्रम चलेंगे। मंडी में दो, चंबा, हमीरपुर, कुल्लू, कांगड़ा, शिमला व सोलन जिलों को एक-एक कार्यक्रम मिला है। 40 लोगों के एक कार्यक्रम में कौशल उन्नयन के तहत पांच माह का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। प्रशिक्षण के दौरान कारीगरों को एक माह के दौरान 25 दिन के लिए 300 रुपये दैनिक भत्ता मिलेगा। एक कारीगर को तीन माह के प्रशिक्षण में 22,500 रुपये मिलेंगे। जबकि मास्टर ट्रेनर को इस अवधि के दौरान 90 हजार की राशि दी जाएगी।
एक कार्यक्रम के लिए 14.85 लाख
केंद्र से स्वीकृत आठ कार्यक्रमों में से प्रत्येक कार्यक्रम के लिए 14.85 लाख मिलेंगे। कुल मिलाकर आठ कार्यक्रमों के लिए 1.18 करोड़ स्वीकृत हुए हैं।
सबसे ज्यादा 14 कार्यक्रम स्वीकृत
प्रदेश को 2019-20 में सबसे ज्यादा 14 कार्यक्रम 2.7 करोड़ रुपये के स्वीकृत हुए थे, जबकि 2018-19 में केवल पांच कार्यक्रम मिलेे।
मास्टर ट्रेनर पर दोहरी जिम्मेदारी
कौशल उन्नयन के लिए नियुक्त मास्टर ट्रेनर पर दोहरी जिम्मेदारी रहती है। नियुक्ति के तुरंत बाद पहले माह मास्टर ट्रेनर बाजार का सर्वेक्षण करेगा, बाजार में किन उत्पादों की मांग है। उसके बाद कारीगरों को तीन माह का प्रशिक्षण प्रदान करने के बाद पांचवें माह कारीगरों द्वारा तैयार उत्पादों को देश के विभिन्न भागों में प्रदर्शनी, बिक्री केंद्रों व इम्पोरियम में जगह दिलाएगा।
क्या कहते हैं अधिकारी
- ग्रामीण क्षेत्र के परंपरागत कारीगरों के कौशल में निखार लाने का प्रयास है। उन्हें बाजार में उपलब्ध उत्पादों के अनुरूप प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। -संजीव कटवाल, उपाध्यक्ष, राज्य हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम।
- कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर के बाद स्थिति सामान्य होते ही सभी जिलों में कौशल उन्नयन प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू होंगे। पिछले कार्यक्रमों के से भी कारीगरों द्वारा तैयार उत्पाद में निखार आया है। -कुमद सिंह, प्रबंध निदेशक, राज्य हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम।