Dharamshala: कच्चे मकान व टूटी फूटी सड़कों से बहुमंजिला इमारतों और स्मार्ट रोड तक पहुंचा धर्मशाला
Himachal Pradesh Dharamshala City आजादी के बाद से देश का हर राज्य जिला और हर गांव विकास कर रहा है। जिला कांगड़ा के मुख्यालय धर्मशाला शहर के विकास यात्रा की बात की जाए तो आज यह शहर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है
धर्मशाला, मुनीष गारिया। Himachal Pradesh Dharamshala City, आजादी के बाद से देश का हर राज्य, जिला और हर गांव विकास कर रहा है। विभिन्न योजनाओं का लाभ लेकर गांव अब शहर बन गए हैं और कुछ इस ओर अग्रसर हैं। इन सभी बातों के बीच आज जिला कांगड़ा के मुख्यालय धर्मशाला शहर के विकास यात्रा की बात की जाए तो आज यह शहर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है और विदेशी लोगों के लिए भी यह शहर प्रमुख स्थल बन चुका है। कभी कच्चे मकान और टूटी फूटी सड़क वाला शहर में आज बहुमंजिला भवन और स्मार्ट रोड बन गए हैं। इस शहर में हर वह सुविधा जिसकी इन्सान चाह रखता है। यही कारण है हर नागरिक इस खूबसूरत शहर में बसना चाहता है। धर्मशाला शहर के विकास का आधार धर्म गुरु दलाई लामा हैं। तिब्बत से धर्मशाला आने के बाद ही शहर की विकास यात्रा शुरू हुई।
चीन के साथ विवाद के चलते दलाई लामा तिब्बत छाेड़कर 1959 में धर्मशाला आ गए थे। तत्कालीन सरकार ने उन्हें यहां बसाया। धर्मगुरु होने के कारण उनकी शिक्षाओं को सुनने के लिए पहले देश के विभिन्न क्षेत्रों से लोग उनके पास आने लगे। इसके बाद विदेशों से भी लोग यहां उनके धार्मिक उपदेश सुनने के लिए आने लगे। दलाई लामा यहां टीचिंग करते हैं, इसलिए देश विदेश से लोग यहां लाने लगे। दलाई लामा की बोली हुई हर बात अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सर्वमान्य होती है। आज के दौर में धर्मशाला एंव मुख्य रूप से मैक्लोडगंज अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल बन चुका है। यहां आने वाले अकेले मैक्लोडगंज व धर्मशाला में करीब 450 होटल हैं।
विदेशियों और तिब्बतियाें का शहर बन गया है मैक्लोडगंज
मैक्लोडगंज में मौजूदा स्थिति यह है कि स्थानीय लोगों के साथ-साथ तिब्बती लोग बहुत अधिक संख्या में हैं। इसके लिए मैक्लोडगंज धर्मकोट क्षेत्र में इजरायली लोग काफी रहते हैं। इसी कारण मैक्लोडगंज को तिब्बती और विदेशियों का शहर भी कहा जाता है।
धर्मशाला शहर से चलती है तिब्बती सरकार, बैठती है संसद
भारत के लिए जैसे दिल्ली शहर महत्वपूर्ण है, वैसे ही तिब्बती लोगों के लिए धर्मशाला शहर दिल्ली है। जिस तरह भारत की संसद दिल्ली में बैठती है और वहीं से सरकार चलती है। वैसे ही धर्मशाला मैक्लोडगंज में निर्वासित तिब्बती संसद है। यहां तिब्बती प्रधानमंत्री और सांसद भी रहते हैं। यहां तिब्बती सरकार सदन में विश्व भर में रह रहे तिब्बती समुदाय के लोगों के लिए नियम एवं योजनाएं बनाती हैं।
नामग्यालमा स्तूप
मैक्लोडगंज के बेहद करीब स्थित नामग्यालमा स्तूप एक पुरानी बौद्ध संरचना है। इसका निर्माण उन तिब्बती सैनिकों के सम्मान में करवाया गया था, जिनकी मौत तिब्बती स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हुई थी। यह संरचना तीसरी शताब्दी के दौरान राजा अशोक द्वारा निर्मित संरचना की तरह दिखती है। स्तूप में शाक्यमुनी बुद्ध की एक छवि को चित्रित किया गया है। इंडो-तिब्बती शैली में निर्मित, बौद्ध स्तूप प्रार्थना पहियों से घिरा हुआ है जिसमें भक्त मंदिर के चारों ओर परिक्रमा करते हुए मंत्रो को पढ़ते हुए घुमाते हैं।
मिनी इजरायल
धर्मकोट में इजरायली लोगों की बड़ी संख्या के कारण इसे 'मिनी इजरायल- भी कहा जाता है। मैक्लोडगंज और भागसूनाग से केवल एक किमी की दूरी पर बसा यह स्थान पूरी तरह से प्रकृति की गोद में है। यहां सबसे अधिक इजरायल के पर्यटक आते हैं। इस गांव की खासियत यह है कि यहां हर छोटे-बड़े घर में इजरायल के लोग रहते हुए मिल जाएंगे। धर्मकोट गांव एक छोटी सी गली के दोनों किनारों पर बसा हुआ है।
अंतरराष्ट्रीय पहचान की दूसरी वजह
धर्मशाला शहर के बीच धौलाधार की आंचल में बसा एक सूबसूरत क्रिकेट स्टेडियम भी है। हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन का यह स्टेडियम 2005 में बनकर तैयार हो गया था। इस स्टेडियम में आइपीएल, टेस्ट, टी-20 और वनडे सभी फारमेट के मैच हो चुके हैं। विश्व की लगभग सभी शीर्ष टीमें यहां खेल चुकी हैं।
स्मार्ट सिटी बन गया है धर्मशाला
2016 में धर्मशाला काे नगर निगम बनाया गया। इसी के साथ ही स्मार्ट सिटी का दर्जा भी दिया गया। अब शहर में सभी स्मार्ट कार्य हो रहे हैं। स्मार्ट सिटी का दर्जा मिलना दर्शाता है कि धर्मशाला शहर कितना विकसित हो चुका है। स्मार्ट सिटी के तहत शहर में कई कार्य चल रहे हैं और कई कार्य पूरे भी हो चुके हैं।
स्मार्ट सिटी के तहत धर्मशाला को मिलेंगी यह सुविधाएं
- शहर में 11 मल्टीस्टोरी पार्किंग बनेंगी
- विभिन्न स्थानों पर 10 पजल पार्किग
- बड़ी बैठकों के लिए कन्वेंशन सेंटर
- पैराग्लाइडिंग, माउंटेनरिंग ट्रेनिंग सेंटर
- आसपास में कई ट्री हाउस खोले जाएंगे
- शहर में 35 इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएंगी
- मैक्लोडगंज, कोतवाली बाजार और कचहरी अड्डा बाजारों का आउटर लुक अंतरराष्ट्रीय मानकों पर बदला जाएगा
- नगर निगम के हर वार्ड में चलेंगी मिनी बसें
- नगर निगम क्षेत्र को 24 घंटे पानी-बिजली
- हर घर जोड़ा जाएगा सीवरेज सिस्टम से
- दफ्तरों का सारा काम ई गर्वनेंस से होगा
- शहर में घर, अन्य भवन भूकंपरोधी बनेंगे
- नक्शों में घरों के डिजाइन को कामन लुक
- शहर की हर गली बदलेगी कंकरीट रोड में।