सावधान! विटामिन डी की कमी से खोखली हो रहीं चंबा के लोगों की हड्डियां
सावधान! चंबा जिले के युवाओं की हड्डियां खोखली हो रही हैं इसका बड़ा कारण विटामिन-डी की कमी है। पहले बुजुर्गों में पाया जाने वाला हड्डी संबंधी रोग अब युवाओं को भी सता रहा है। यह बीमारी पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा होती है।
चंबा, सुरेश ठाकुर। सावधान! चंबा जिले के युवाओं की हड्डियां खोखली हो रही हैं, इसका बड़ा कारण विटामिन-डी की कमी है। पहले बुजुर्गों में पाया जाने वाला हड्डी संबंधी रोग अब युवाओं को भी सता रहा है। यह बीमारी पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा होती है, जो धीरे-धीरे अब चंबा के युवाओं में फैल रही है।
भरमौर, पांगी व तीसा के लोगों में इस बीमारी के पीछे विटामिन-डी की कमी मानी जा रही है। पांगी, भरमौर व तीसा के क्षेत्रों में धूप कम देखने को मिलती है। इससे लोग धूप के संपर्क में नहीं आ पाते हैं। यही कारण है कि लोगों में विटामिन-डी की कमी के कारण आस्टियोपोरोसिस (खोखली हड्डी) की बीमारी पाई जा रही है।
चंबा मेडिकल कालेज के हड्डी रोग ओपीडी में रोजाना सौ में से 30 से 35 मरीज ऐसे आते हैं, जो उपरोक्त बीमारी से पीडि़त होते हैं।
ओपीडी में आने वाले ज्यादातर ऐसे रोगी पांगी, भरमौर व तीसा क्षेत्र से संबंधित होते हैं। ऐसे मरीजों को विशेषज्ञ दवा देने के साथ धूप में बैठने की सलाह दे रहे हैैं। चिकित्सक साथ ही हरी सब्जियों का सेवन करने की सलाह देते हैं।
एक माह में दो सौ मरीजों में पाई गई विटामिन-डी की कमी
मेडिकल कालेज की हड्डी रोग ओपीडी में 30 दिन के भीतर ही लगभग 270 मरीजों में विटामिन-डी की कमी आंकी गई है। वहीं जिला के अन्य सिविल अस्पतालों में भी लगभग 300 मरीजों ने विटामिन-डी की कमी को लेकर अस्पताल में चेकअप करवाया है। बाकी मरीजों ने सीएचसी और पीएचसी में चेकअप करवाया है। हालांकि अब मरीजों को विटामिन-डी की कमी को दूर करने के लिए दवा दी जा रही हैैं।
भरमौर, पांगी व तीसा के लोगों में हड्डी की बीमारी ज्यादा पाई जा रही है। इसके लिए लोगों को अपने खानपान व रहन-सहन में बदलाव लाने की आवश्यकता है। धूप में बैठने के अलावा हरी सब्जियों का ज्यादा सेवन करना चाहिए। ओपीडी में एक माह में करीब 270 मरीज ऐसे आ रहे हैं, जिनमें विटामिन-डी की कमी पाई जा रही है।
-डा. मानिक, हड्डी रोग विशेषज्ञ मेडिकल कालेज चंबा।
चपेट में बुजुर्ग नहीं, युवा भी
30 दिन के भीतर मेडिकल कालेज की ओपीडी पर गौर करें तो जिन मरीजों में विटामिन-डी की कमी पाई गई है, उनकी उम्र 30 से 40 वर्ष के आसपास है। हालांकि बच्चों में विटामिन की कमी अकसर ज्यादा देखने में मिलती है लेकिन इस वर्ष चंबा में सर्दी ने युवाओं को भी विटामिन-डी की कमी की चपेट में ले लिया है। विशेषज्ञ कहते हैं कि पहले से ही चंबा के लोगों में विटामिन तय स्तर से काफी कम आंका जाता है, लेकिन इस बार चंबा में अधिक सर्दी न होने के कारण भी एकाएक जिला के लोगों में विटामिन का ग्राफ बढ़ा है।
बीमारी के कारण
- व्यायाम की कमी।
- फास्ट फूड व कोल्ड ड्रिक्स के सेवन की बढ़ती प्रवृति।
- दूध या इससे बने पदार्थों व कैल्शियमयुक्त और पोषक पदार्थों का कम सेवन।
- अनुवांशिक कारण, थायराइड हार्मोन की कमी, ग्रोथ हार्मोन में गड़बड़ी।
- शराब, धूमपान का सेवन।
- अत्यधिक समय तक कुछ दवाओं का सेवन।
- महिलाओं में मासिक धर्म का बंद होना तथा एक खास तरह का हार्मोन।
विटामिन डी की कमी के लक्षण
हड्डी और मांसपेशियों में कमजोरी, चलते वक्त घुटने से आवाज आना, मोटापे से विटामिन डी की कमी होती है, उदास और तनाव में रहना, बिना किसी श्रम से पसीना आना, हड्डियों में दर्द होना, प्रतिरोधक क्षमता में कमी होने से बार-बार बीमार पडऩा, थकावट महसूस करना, समय से पहले वृद्ध होना, चेहरे, हाथों में झुरियां पडऩा, बीपी बढऩा, मसूढ़े संबंधी बीमारी होने आदि लक्षण शामिल हैं।
बचाव के उपाय
- 40 से 45 की उम्र के बाद हड्डियों के घनत्व की नियमित जांच कराएं।
- भोजन में दूध या इससे बने पदार्थ, प्रोटीन व अन्य दूसरे पोषक तत्वों को शामिल करें।
- बच्चों को खुले मैदान में खेलने दें।
- बच्चों और खासकर बच्चियों को नियमित दूध का सेवन कराएं।
- मासिक धर्म बंद होने के बाद कैल्यिशम का सेवन करें।
- फास्ट फूड के सेवन से बचें।
कैल्शियम की जांच करवाते रहे
बोन मिनरल डेन्सीटी या हाइड्रोक्सी से कैल्शियम की जांच की जाती है। रक्त में विटामिन डी का सामान्य लेवल 50 से 20 नैनोग्राम रहना चाहिए, लेकिन 20 नैनोग्राम तक रहे तो सतर्क होना चाहिए। इसे धूप, विटामिन डी की गोली या खानपान से बढ़ाया जा सकता है।