आलोचना ने दिलाया रजत पदक : सुधा सिंह
जकार्ता एशियन गेम्स स्टीपल चेज तीन हजार मीटर दौड़ में देश का रजत जीतने वाली सुधा ¨सह ने मंगलवार को खनियारा स्थित अघंजर महादेव और इंद्रूनाग मंदिर का आशीर्वाद लिया। सुधा ने एशियन गेम्स में जाने से पूर्व दोनों मंदिरों में मन्नत मांगी थी।
जागरण संवाददाता, धर्मशाला : 'जब मेरी उम्र 30 के पास पहुंचने लगी तो लोग व कोच ठुकराने लगे और कहने लगे कि इस आयु में पदक जीतना संभव नहीं है। कोचों ने भी इन्कार कर दिया, लेकिन आलोचनाओं को ढाल बनाकर आगे बढ़ती रही। इसका परिणाम है कि 32 वर्ष की आयु में एशियन गेम्स में देश को रजत पदक दिलाया है।' यह कहना है एशियन गेम्स में तीन हजार मीटर की दौड़ में देश के लिए रजत पदक जीतने वाली सुधा ¨सह का। वह मंगलवार को धर्मशाला में पत्रकारों से बातचीत कर रही थी।
उन्होंने कहा, पिछले वर्ष जब धर्मशाला में अभ्यास कर रही थी तो इंटरनेशनल चैंपियनशिप में क्वालीफाई करने के बावजूद विवाद पैदा कर दिया था। बकौल सुधा सिंह, केरल की एसोसिएशन के सदस्य वहां की धाविका पियु चित्रा को भेजना चाहते थे, लेकिन बाद में यह मामला शांत हो गया। कहा कि यह धर्मशाला में अभ्यास का ही परिणाम है कि एशियन खेलों में रजत पदक जीता है। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अभ्यास करने के परिणाम भी अच्छे आते ही हैं, लेकिन बीच में स्थान बदलना जरूरी है। एक ही स्थान पर अभ्यास करने से परफॉर्मेस नहीं बढ़ती है। बचपन में मन पढ़ाई से ज्यादा खेल में लगता था। ट्यूशन के लिए समय से पहले ही निकल जाती थी और कई बार दौड़ लगाने के लिए ट्यूशन मिस भी कर देती थी। उत्तर प्रदेश सरकार ने खेल विभाग में उपनिदेशक पद का ऑफर दिया है और इस पर पेपर वर्क चल रहा है। इससे पहले उन्होंने खनियारा स्थित अघंजर महादेव और इंद्रूनाग मंदिर में माथा टेका।