उछले दाम तो सेब बागवान बाग-बाग, पांच हजार करोड़ का आंकड़ा पार कर सकती है इस बार सेब अर्थव्यवस्था
हिमाचल में सेब सीजन ढलान पर है लेकिन अब इसके दाम में उछाल आ गया है। प्रति पेटी के दाम तीन सौ से छह सौ रुपये तक बढ़े हैं। आमतौर पर एक पेटी में बीस किलो सेब होता है। इससे ऊंचाई वाले क्षेत्रों के बागवान बाग-बाग हो गए हैं।
शिमला, रमेश सिंगटा। हिमाचल में सेब सीजन ढलान पर है, लेकिन अब इसके दाम में उछाल आ गया है। प्रति पेटी के दाम तीन सौ से छह सौ रुपये तक बढ़े हैं। आमतौर पर एक पेटी में बीस किलो सेब होता है। इससे ऊंचाई वाले क्षेत्रों के बागवान बाग-बाग हो गए हैं। हालांकि मध्यम ऊंचाई वाले इलाकों के बागवानों ने दाम में गिरावट झेली थी। अभी तक हिमाचल के देश भर की मंडियों में सेब की दो करोड़ 76 लाख 71 हजार 215 पेटी पहुंची है। बाजार जल्द ही तीन करोड़ पेटी का आंकड़ा छू जाएगा। जताई है कि अबकी बार सेब की अर्थव्यवस्था पांच हजार करोड़ पार कर जाएगी। अब किन्नौर के अलावा ऊंचाई वाले क्षेत्रों का सेब बचा हुआ है। सेब उत्पादन तो पिछले साल के मुकाबले बहुत ज्यादा हुआ है, लेकिन 2019 का रिकार्ड टूटने के आसार नहीं हैं।
किस वर्ष कितना हुआ उत्पादन
वर्ष टन पेटी
2016 468134 23406663
2017 446574 22328675
2018 368603 18430143
2019 715253 35762650
2020 481062 24053099
2021 553424 27671215
कितना दाम
उच्च गुणवत्ता वाला सेब प्रति पेटी
रॉयल 1800 से 2400 रुपये
गोल्डन 800 से 1400 रुपये
कम गुणवत्ता वाला 800 से 900 रुपये
बागवानों ने आंदोलन चलाया, लेकिन सरकार ने तो वार्ता के लिए नहीं बुलाया। इसका असर यह हुआ कि सात कंपनियों ने न केवल दाम बढ़ाए बल्कि इन्हें स्थिर भी रखा। ऐसा पहली बार हुआ है। आढ़तियों ने भी दाम बढ़ाए, लेकिन जिन बागवानों को कम रेट मिले, उनकी भरपाई नहीं हो पाएगी।
हरीश चौहान, अध्यक्ष संयुक्त किसान मंच
अब सेब सीजन समाप्त होने वाला है। बागवानों के दबाव के कारण दाम में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि अधिकांश बागवानों को अच्छे दाम नहीं मिल पाए हैं। इस बार पांच हजार करोड़ का कारोबार हो सकता है। उत्पादन लागत काफी ज्यादा बढ़ गई है। इससे शुद्व मुनाफा पहले की तुलना में और कम हो गया है।
संजय चौहान, महासचिव, किसान संघर्ष समिति
बुधवार तक सेब की मंडी में दो करोड़ 76 लाख 71 हजार 215 पेटियां जा चुकी थी। इसी अवधि में पिछले वर्ष एक करोड़ 70 लाख 80 हजार 952 पेटियां पहुंची थी। इस बार 2019 से भी थोड़ी अधिक पेटियां बाजार में आई हैं।
डा. आरके परूथी, निदेशक,बागवानी, हिमाचल प्रदेश