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आइजीएमसी के 10 डॉक्टरों व कर्मचारियों में पाई गई एंटीबॉडी, इम्यूनिटी मजबूत होने से स्वत: खत्म हुआ संक्रमण

Antibodies इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आइजीएमसी) शिमला के 10 डॉक्टरों और कर्मचारियों के शरीर में एंडीबॉडी पाई गई है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Sat, 12 Sep 2020 09:38 AM (IST)Updated: Sat, 12 Sep 2020 09:38 AM (IST)
आइजीएमसी के 10 डॉक्टरों व कर्मचारियों में पाई गई एंटीबॉडी, इम्यूनिटी मजबूत होने से स्वत: खत्म हुआ संक्रमण
आइजीएमसी के 10 डॉक्टरों व कर्मचारियों में पाई गई एंटीबॉडी, इम्यूनिटी मजबूत होने से स्वत: खत्म हुआ संक्रमण

शिमला, रामेश्वरी ठाकुर। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आइजीएमसी) शिमला के 10 डॉक्टरों और कर्मचारियों के शरीर में एंडीबॉडी पाई गई है। इसका मतलब यह हुआ कि कोरोना संक्रमित होने के बावजूद  इनमें कोई लक्षण दिखा और वे स्वस्थ भी हो गए। ऐसा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होने के कारण हुआ है। स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना जांच का दायरा बढ़ाते हुए एंडीबॉडी टेस्टिंग शुरू की है। तीन दिन में करीब 300 टेस्ट आइजीएमसी में किए हैं। सीएमओ शिमला डॉ. सुरेखा ने बताया कि जिला स्वास्थ्य विभाग की ओर से एंटीबॉडी टेस्टिंग की शुरुआत आइजीएमसी से की गई है। अस्पताल के डॉक्टरों व कर्मचारियों की टेस्टिंग की गई तो 10 के शरीर में एंटीबॉडी पाई गई।

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क्या है एंटीबॉडी टेस्ट

एंटीबॉडी कोरोना वायरस के संक्रमण की जांच के लिए किया जाने वाला टेस्ट है। संक्रमित व्यक्ति का शरीर लगभग एक सप्ताह बाद वायरस से लडऩे के लिए एंटीबॉडी बनाता है। नौवें दिन से 14वें दिन तक एंटीबॉडी बन जाती है। यह टेस्ट खून का सैंपल लेकर किया जाता है। एक घंटे के भीतर टेस्ट की रिपोर्ट आ जाती है। इसमें कोरोना वायरस की मौजूदगी का सीधा पता नहीं चलता। केवल एंटीबॉडी की उपस्थिति की जानकारी मिलती है। इससे यह पता चलता है कि व्यक्ति को संक्रमण हो चुका है।


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