मटर की अगेती किस्मों की करें बिजाई
संवाद सहयोगी पालमपुर हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के प्रसार शिक्षा निदेशालय ने
संवाद सहयोगी, पालमपुर : हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के प्रसार शिक्षा निदेशालय ने किसानों को सलाह दी है कि प्रदेश के निचले पर्वतीय क्षेत्रों में मटर की अगेती किस्मों पालम त्रिलोकी, अरकल व वीएल-7 की बिजाई करें। बिजाई के समय 200 क्विंटल गोबर की गली सड़ी खाद के अलावा 185 किग्रा. इफको 12:32:16 मिश्रण खाद, 50 किग्रा. म्यूरेट ऑफ पोटाश तथा 5 किग्रा. यूरिया खाद प्रति हेक्टेयर में डालें। इन्हीं क्षेत्रों में लहसुन की सुधरी प्रजातियों जीएचसी-1 व एग्रीफॉउफड पार्वती आदि की बिजाई कतारों में 20 सेमी व पौधे में 10 सेमी. की दूरी बनाए रखें। बिजाई से पहले 250 क्विंटल गोबर खाद के अलावा 235 किग्रा. इफको 12:32:16 मिश्रण खाद, 35 किग्रा. म्यूरेट ऑफ पोटाश तथा 100 किग्रा. यूरिया प्रति हेक्टेयर डालें।
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फूलगोभी व बंदगोभी की पनीरी की करें रोपाई
मध्यवर्ती पहाड़ी क्षेत्रों में फूलगोभी, बंदगोभी, गांठगोभी, चाइनी•ा बंदगोभी तथा ब्रॉकली की तैयार पौध की रोपाई करें। रोपाई के समय खेतों में खाद डालें। मूली की किस्मों पूसा हिमानी, मीनो अर्ली, आल सी•ान, शलजम की पीटीडब्ल्यूजी, पालक की पूसा हरित, पूसा भारती, आलग्रीन, मेथी की पालम सौम्य, पूसा कसूरी, आइसी-74 तथा लहसुन की जीएचसी-1 व एग्री फाउफंड पार्वती की बिजाई करें। खेतों में लगी सभी सब्जियों की निराई-गुड़ाई करें तथा नत्रजन 40-50 किग्रा. यूरिया प्रति हेक्टेयर डालें।
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चने की बिजाई के लिए उपयुक्त समय
अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े में चने की बिजाई की सकती है। हिमाचल चना-1, हिमाचल चना-2, एचपीजी-17, पालम चना-1 और जीपीएफ-2 चने की उन्नत किस्में बिजाई के लिए उपयुक्त हैं। अच्छे जल निकास वाली दोमट तथा रेतीली भूमि चने की खेती के लिए उत्तम है। चना बीज को 50 सेमी. की दूरी पर कतारों में बिजाई करें। उखेड़ा रोग से बचाव के लिए बीज को 10-12.5 सेमी. गहरा डालें। बिजाई से पूर्व बीज का कैप्टान 3 ग्राम/किग्रा. बीज या वैबिस्टिन व थीरम 1 अनुपात 1 में 3 ग्राम/किग्रा. बीज से उपचारित करें।
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मुर्गीघरों में करें रोशनी का प्रबंध
मुर्गीघरों में 15-16 घंटे रोशनी का प्रबंध करें और बिछावन को सूखा रखने का प्रयास करते रहें। चूजे पालने का यह अच्छा समय है और इन्हें प्रामाणिक हैचरी से ही खरीदें। खरगोशों में प्रजनन न करवाएं, क्योंकि ठंड के कारण बच्चों की मृत्यु दर बढ़ जाती है।