स्वास्थ्य निदेशक मामला: शांता कुमार की सलाह पर दो पूर्व आइपीएस अधिकारी अवैतनिक जांच को तैयार
कोरोना जैसी आपदा में भी भ्रष्टाचार की फसल काटने से जुड़े ऑडियो मामले में पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार की सलाह पर असर होना आरंभ हो गया है।
शिमला, जेएनएन। कोरोना जैसी आपदा में भी भ्रष्टाचार की फसल काटने से जुड़े ऑडियो मामले में पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार की सलाह पर असर होना आरंभ हो गया है। इस सलाह के आधार पर हिमाचल प्रदेश पुलिस के दो सेवानिवृत्त अधिकारियों ने सरकार से आग्रह किया है कि वह गहन जांच के लिए तत्काल संयुक्त समिति गठित करें। वे हिमाचल हित में अवैतनिक और स्वयंसेवी आधार पर अपनी सेवाएं देने को तैयार हैं।
ये अधिकारी हैं पूर्व डीआइजी डॉ. विनोद कुमार धवन और पूर्व एसपी जगत राम। दोनों को ही जांच कार्य में महारत हासिल रही है। अपने पूरे सेवाकाल के दौरान ईमानदारी के साथ कार्य कई अनसुलझे केस सुलझाए। प्रलोभनों के आगे इनका कभी ईमान नहीं डिगा। शिमला के युग हत्या की गुत्थी सुलझाने में धवन की सबसे बड़ी भूमिका रही थी। इन पूर्व आइपीएस अफसरों का कहना है कि हिमाचल में भ्रष्टाचार के प्रति सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति तभी सार्थक होगी, जब बड़े आरोपों की निष्पक्ष जांच होगी।
जगतराम ने कहा संयुक्त जांच टीम में सीबीआइ के पूर्व निदेशक अश्विनी कुमार, प्रदेश के पूर्व डीजीपी आइडी भंडारी जैसे ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अफसरों को भी शामिल किया जाए। इससे सरकार की छवि में और निखार आएगा। उन्होंने कहा कि आज छोटे से प्रदेश में भ्रष्टाचार काफी बड़े पैमाने पर अपनी जड़ें फैला चुका है। इस पर चोट करना जरूरी है तभी सुशासन संभव है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस भ्रष्टाचार मुक्त समाज निर्माण की सोच रखते हैं, राज्यों में इसे धरातल पर उतारने के लिए कई कदम उठाए जाने की जरूरत है।