Kinnaur: बर्फबारी के बाद पर्यटन स्थल छितकुल में अधिकतम व न्यूनतम तापमान जमाव बिंदु से नीचे
Kinnaur Weather किन्नौर में दो दिनों से ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी व निचले क्षेत्रों में हो बारिश के बाद मंगलवार को मौसम साफ होने से तापमान में भारी गिरावट दर्ज हुई है। वहीं पर्यटन स्थल छितकुल में अधिकतम व न्यूनतम तापमान रात के समय माइनस में पहुंच गया है।
रिकांगपिओ, समर नेगी। जनजातीय जिला किन्नौर में दो दिनों से ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी व निचले क्षेत्रों में हो बारिश के बाद मंगलवार को मौसम साफ होने से तापमान में भारी गिरावट दर्ज हुई है। वहीं पर्यटन स्थल छितकुल, रक्षम, सांगला, चांसु कल्पा, नाको, नेसंग, कुनु चारंग, आसरंग, हांगो व जिला के 20 प्रतिशत स्थानों में अधिकतम व न्यूनतम तापमान रात के समय माइनस में पहुंच गया है। इससे इन क्षेत्रों में तापमान जमाव बिंदू से नीचे जाने के कारण पीने के पानी की पाइपें जमने के कारण पानी की दिक्कत सामने आ रही है। वहीं इसके कारण जल स्त्रोत भी जमने लगे हैं। लोगों को बर्फ पिघलाकर पानी की कमी को पूरा करना पड़ रहा है। वहीं कुछ लोग पानी की पाइपों को आग जलाकर गर्म कर पानी की सप्लाई को सुचारु कर रहे हैं।
जिला किन्नौर क्षेत्र की सीमा का आखिरी गांव छितकुल का अधिकतम तापमान -2℃ और न्यूनतम तापमान -13℃ दर्ज किया गया है। किन्नौर में ऊंचाई वाले क्षेत्र पूरी तरह से बर्फ की सफेद चादर ओढ़े हुए है। इस बर्फबारी से समूचा क्षेत्र शीतलहर की चपेट में आ गया है व मंगलवार को मौसम साफ होने के बावजूद लगातार बर्फीली हवाएं चल रही हैं। फिलहाल बर्फबारी के बाद आज सुबह से ही धूप खिलने से जनजीवन सामान्य सा हो गया है हालांकि बर्फीली हवाओं के चलने से लोगों को अभी भी ठंड से निजात नहीं मिल रही है।
बागवानों में सेब फसल अच्छी होने की उम्मीद बढ़ी
बर्फबारी व तापमान में आई गिरावट को जिले के किसान-बागवान काफी फायदेमंद मान रहे हैं। उनका मानना है कि अभी हुई बारिश व बर्फबारी सेब व अन्य नकदी फसलों के लिए नाकाफी है। लेकिन इससे सेब की नकदी फसल की पैदावार अच्छी होने की उम्मीद अवश्य जगी है। इसके साथ सेब के लिए चिलिंग ऑवर्स मिलने की भी उम्मीद बढ़ गई है।
स्थानीय लोगों को पीने के पानी की समस्या
जिला किन्नौर में एक तरफ बर्फबारी व बारिश फायदेमंद होती है तो दूसरी ओर कई परेशानियों को भी साथ लेकर आती है। बर्फबारी से तापमान के माइनस में चले जाने से पूरे इलाके में बर्फानी हवाएं चलती हैं और पूरा क्षेत्र ठंड की चपेट में आ जाता है। इससे उन्हें सबसे बड़ी दिक्कत पीने के पानी की सामने आती है। तापमान में आई गिरावट से पानी के प्राकृतिक स्रोत व पानी की पाइपें जम जाने से पीने के पानी की समस्या सामने आती है।