माता बज्रेश्वरी मंदिर के बाद कालका व कपालेश्वर में भी चढ़ा मक्खन
श्री बज्रेश्वरी मंदिर के साथ-साथ कांगड़ा क्षेत्र के अन्य मंदिरों में भी घृत पर्व की धूम रही। बज्रेश्वरी देवी की पिंडी के साथ ही मंदिर परिसर में क्षेत्रपाल मंदिर के साथ लगते श्री कपालेश्वर महादेव कपाली भैरव समीरपुर स्थित कालका माता मंदिर में भी घृत मंडल पर्व की धूम रही।
कांगड़ा, संवाद सहयोगी । घृत मंडल पर्व के चलते शक्तिपीठ माता श्री बज्रेश्वरी मंदिर के साथ-साथ कांगड़ा क्षेत्र के अन्य मंदिरों में भी घृत पर्व की धूम रही। शक्तिपीठ माता बज्रेश्वरी की मुख्य पिंडी के साथ-साथ मंदिर परिसर में स्थित क्षेत्रपाल, मंदिर के साथ लगते श्री कपालेश्वर महादेव कपाली भैरव कांगड़ा, समीरपुर स्थित कालका माता मंदिर में भी घृत मंडल पर्व की धूम रही। मंदिर स्थित क्षेत्रपाल मंदिर में स्थित भगवान क्षेत्रपाल में मक्खन से भगवान शिव की बनाई गई प्रतिमा श्रद्धालुओं के लिए आकर्षक का केंद्र बनी है।
सैकड़ों श्रद्धालुओं ने मक्खन से बनी प्रतिमा से सेल्फी ली। मंदिर के साथ लगते कपालेश्वर महादेव मंदिर के मंहत विजय नाथ ने बताया कि कपालेश्वर महादेव मंदिर में कई संदियों से मक्खन चढ़ाने की परंपरा है। महिषासुर के साथ हुए प्रचंड युद्ध में योगमाया जगत जननी मां को घाव हुए तो भगवान शिव ने मां के घावों में शीतल मक्खन का लेप किया। अत: पुरातन परंपरा के अनुसार कपालेश्वर महादेव कपाली भैरव में भी यह पर्व मनाया जाता है। उन्होंने बताया की मकर संक्रांति को शिवङ्क्षलग पर 108 बार जल से धोए गए घी से पवित्र शिव विग्रह बनाया गया है। घृत मंडल पर उकृत यह पावन शिव विग्रहाकृति सात दिन तक रहेगी।
शक्तिपीठ माता श्री बज्रेश्वरी मंदिर में जहां मक्खन का लेप लगाया गया, वहीं क्षेत्रपाल, शिव मंदिर कांगड़ा, कालका माता मंदिर में भी मक्खन से पिंडी का शृंगार किया गया। शिव मंदिर कांगड़ा के महंत विजय नाथ ने बताया कि मंदिर में मक्खन की परंपरा काफी पुरानी है और इसके साथ ही कालका माता मंदिर समीरपुर के पुजारी जीवन कुमार गिरी और शिव मंदिर बैजनाथ के पुजारी पंडित उमाशंकर ने बताया कि मंदिर में ङ्क्षपडी पर जो मक्खन चढ़ाया गया है, वह सब श्रद्धालुओं द्वारा ही मंदिर में दान दिया जाता है। यह पंरपरा कई वर्ष से चली आ रही है और आगे भी जारी रहेगी।