किराया बढ़ने पर भी नहीं बढ़ी बसों की संख्या, सरकारी व जिनी में ऑक्यूपेंसी बढऩे के बजाय घटने के आसार
Himachal Bus Fare हिमाचल प्रदेश में बस किराये में 25 फीसद की बढ़ोत्तरी करने के बावजूद बसों की संख्या में कोई इजाफा नहीं हो पाया है।
धर्मशाला/शिमला, जेएनएन। हिमाचल प्रदेश में बस किराये में 25 फीसद की बढ़ोत्तरी करने के बावजूद बसों की संख्या में कोई इजाफा नहीं हो पाया है। ऑक्यूपेंसी बढऩे के बजाय कम होने के आसार हैं। निजी बस ऑपरेटर तकनीक खराबी आने का बहाना बना रहे हैं। ऑपरेटरों ने अपना पूरा स्टाफ नहीं बुलाया है। स्टाफ का आरोप है कि ऑपरेटरों ने उन्हें कोरोना संकट में भी वेतन नहीं दिया। ऑपरेटर सरकार से वर्किंग कैपिटल की अधिसूचना जारी करने की मांग कर रहे हैं। सरकार ने प्रति बस दो लाख रुपये वर्किंग कैपिटल देने की मांग भी स्वीकार कर ली है। इस संबंध में मंत्रिमंडल में फैसला हो गया था।
ऑपरेटरों का कहना है कि किसी बस का टायर तो किसी की बैटरी खराब है। बीमा का पैसा भी नहीं चुकाया है। जहां तक ऑक्यूपेंसी का सवाल है कि 30 से 34 फीसद ही सवारियां बसों में बैठ रही है।
कहां कितनी निजी बसें चली
कांगड़ा में 340, ऊना में 15, बिलासपुर 195, मंडी 266, हमीरपुर 86, कुल्लू 86, सिरमौर 125, शिमला सिटी 82, शिमला ग्रामीण 85, रामपुर में 52, चंबा में 126 व नालागढ़ में 54 बसें चलीं।
क्या कहते हैं ऑपरेटर व अधिकारी
बसों की संख्या पहले से बढ़ रही है, लेकिन सभी नहीं चल पा रही है। ऐसी बसों की संख्या काफी ज्यादा है, जहां पर तकनीकी खराबी आई है। वर्किंग कैपिटल मिल जाए तो चलानी आसान होगी, लेकिन सवारियां नहीं आ पा रही है। लोग कोरोना के कारण घबराए हुए हैं। -रमेश कमल, महासचिव, निजी बस ऑपरेटर संघ।
ऑक्यूपेंसी नहीं बढ़ पा रही है। अभी सभी रूटों पर बसें नहीं चल रही है। शिमला मंडल में 70 फीसद रूटों पर बसें चलाई जा रही है। -दलजीत सिंह, मंडलीय प्रबंधक, शिमला।