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ऊना के आठ नशा निवारण केंद्रों के खिलाफ कार्रवाई, छह को नोटिस व दो का नवीनीकरण नहीं

Action on Drug Deaddiction Centers हिमाचल प्रदेश राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण ने नशा निवारण केंद्रों में मानवाधिकार उल्लंघन की शिकायतें मिलने के बाद आठ केंद्रों के खिलाफ कार्रवाई की है। इनमें से छह को नोटिस जारी किए हैैं। दो केंद्रों का नवीनीकरण नहीं किया गया।

By Virender KumarEdited By: Published: Mon, 04 Apr 2022 10:22 PM (IST)Updated: Mon, 04 Apr 2022 10:22 PM (IST)
ऊना के आठ नशा निवारण केंद्रों के खिलाफ कार्रवाई, छह को नोटिस व दो का नवीनीकरण नहीं
ऊना के आठ नशा निवारण केंद्रों के खिलाफ कार्रवाई की गई।

शिमला, जागरण संवाददाता। Action on Drug Deaddiction Centers, हिमाचल प्रदेश राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण ने नशा निवारण केंद्रों में मानवाधिकार उल्लंघन की शिकायतें मिलने के बाद आठ केंद्रों के खिलाफ कार्रवाई की है। इनमें से छह को नोटिस जारी किए हैैं। दो केंद्रों का नवीनीकरण नहीं किया गया। यह सभी केंद्र ऊना जिले के हैं।

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इस प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और राज्य मानसिक स्वास्थ्य व पुनर्वास संस्थान के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डा. संजय पाठक ने उमंग फाउंडेशन के वेबिनार में यह जानकारी दी। 'नशे से मुक्ति का अधिकारÓ विषय पर व्याख्यान दिया और नशा निवारण व पुनर्वास के चिकित्सकीय माडल की जानकारी दी। उन्होंने युवाओं से समाज में नशे के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने की अपील की।

कार्यक्रम की संयोजक दीक्षा वशिष्ठ ने बताया कि आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में मानवाधिकार जागरूकता शृंखला के अंतर्गत फाउंडेशन का यह 29वां साप्ताहिक वेबिनार था। उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव ने कहा कि नशे के खिलाफ फाउंडेशन की मुहिम में यह दूसरा वेबिनार था। इसमें हिमाचल प्रदेश के अलावा पड़ोसी राज्यों के विद्यार्थियों ने भी हिस्सा लिया। डा. संजय पाठक ने कहा कि प्रदेश कि छह सरकारी, एक निजी मेडिकल कालेज और बिलासपुर के एम्स में मनोचिकित्सा विभाग है।

इनके अलावा मंडी में आदर्श नशा निवारण केंद्र है। सामाजिक न्याय व अधिकारिता विभाग भी दो केंद्र चला रहा है। निजी क्षेत्र में दो मनोचिकित्सा क्लीनिक भी हैं। एनजीओ भी नशा निवारण केंद्र चला रहे हैं। निजी क्षेत्र के नशा निवारण केंद्रों में मारपीट के अलावा मानसिक व शारीरिक यातनाओं की शिकायतें भी प्राधिकरण में आती हैं। शिकायतें मिलने पर कार्रवाई की जाती है। युवाओं को नशे से बचाने के लिए स्वजन को उनके साथ लगातार संवाद रखना चाहिए।

नशा निवारण के लिए दंड की बजाय, चिकित्सा और पुनर्वास का माडल अपनाया जाना चाहिए। इससे नशे की लत से छुटकारा पाया जा सकता है। डा. संजय पाठक ने बताया कि राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण में पंजीकरण कराए बिना नशा निवारण केंद्र नहीं खोला जा सकता। इसमें सरकार के निर्धारित मानदंड लागू करने होते हैं। कार्यक्रम के संचालन में मुकेश कुमार, पंकज धीमान, शिवानी राजोरिया, रोहित दुगलेट और उदय वर्मा ने सहयोग दिया।


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