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यह भी परंपरा: यहां भूत पिशाच भगाने के नाम पर अंगारों पर नंगे पांव चलकर दी जाती हैं अश्‍लील गालियां

बंजार में फागली उत्‍सव के दौरान अश्लील जुमले कसते हुए ढोल नगाड़ों की थाप पर हारियानों ने मडियाहला (मुखौटा) नृत्य किया।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Wed, 15 Jan 2020 11:34 AM (IST)Updated: Wed, 15 Jan 2020 11:34 AM (IST)
यह भी परंपरा: यहां भूत पिशाच भगाने के नाम पर अंगारों पर नंगे पांव चलकर दी जाती हैं अश्‍लील गालियां
यह भी परंपरा: यहां भूत पिशाच भगाने के नाम पर अंगारों पर नंगे पांव चलकर दी जाती हैं अश्‍लील गालियां

मंडी, फरेंद्र ठाकुर। जिला कुल्‍लू के उपमंडल बंजार क्षेत्र की पल्दी घाटी में करथा और वासुकी नाग को समर्पित पल्दी फागली उत्सव में प्राचीन दैवीय परंपरा का निर्वाहन किया गया। अश्लील जुमले कसते हुए ढोल नगाड़ों की थाप पर हारियानों ने मडियाहला (मुखौटा) नृत्य किया। इस परंपरागत दैवीय रिवायत और प्राचीन नृत्य को देखने के लिए हजारों की भीड़ उमड़ी। इस फागली उत्सव में क्षेत्र के विशेष देवताओं से जुडे़ लोगों व कारकूनों ने विशेष परिधान पहन कर परंपरा निभाते हुए अश्लील जुमले सुनाए।

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आधी रात बीत जाने के बाद उत्सव के दौरान मरोड गांव से 100 फीट लंबी जलती मशाल ढोल नगाड़ों के साथ थाटीबीड गांव लाई गई। मुखौटाधारियों हारियानों ने इस दौरान दहकते अंगारों पर कूदकर नृत्य किया। यह दैवीय नृत्य कई घंटों तक चला। लेकिन दहकते अंगारों से किसी को कोई नुकसान नहीं होता, यह देख लोग दंग रह गए। इसके अलावा देवता के गूर कड़कड़ाती सर्दी में ठंडे पानी के कुंड में दिनभर खडे़ रहे और आम लोगों काे आशीर्वाद देते रहे।

दोपहर बाद थाटीबीड गांव में नरगिस के फूलों से तैयार किए गए विष्णु अवतार चिह को बांगी नामक खुले स्थान पर नचाया गया। फागली उत्सव की शोभा बढ़ाने के लिए घाटी के पटौला, नरौली, शिकारीबीड, घमीर, मरौड, गांव से दर्जनो देवलू मुखौटे पहन कर देवप्रथा का निर्वाहन करने थाटीबीड पहुंचे थे।

यह विशेष फागली उत्सव संक्रांति से शुरू हुआ, जिसमें वासुकी नाग के कोठी प्रांगण में अलाव जलाकर सैकड़ों देवलू रात भर बैठे रहे। इस दौरान साठ मुखौटाधारियों ने देवता करथा नाग व वासुकी नाग के समक्ष रामायण व महाभारत काल के युद्ध का वर्णन कर नृत्य किया। देव परंपरा के अनुसार यह उत्सव देवताओं व राक्षसों के रामायण व महाभारत काल के युद्ध के स्वरूप को दोहराता है। खास कर समुंद्र मंथन का जिक्र भी इस उत्सव में होता है।

ये है मान्यता

मान्यता है कि पौष महीने में यहां के देवी-देवता स्वर्ग प्रवास पर होते हैं और क्षेत्र में भूत-प्रेतों का वास रहता है और इन प्रेत आत्माओं व भूतों को भगाने के लिए देवता करथा नाग व वासुकी नाग तथा इनके सहायक देवता आहिडू महावीर, सिहडू देवता, गुढ़वाला देवता, खोडू, दंईत देवता इस करथा उत्सव में इन राक्षस रूपी मखौटों के साथ नृत्य कर और अश्लील जुमलों के जरिये भूत-प्रेतों व बुरी आत्माओं को भगाया जाता है।


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