बुढ़ापे में अपनों ने ही किया किनारा
एक हंसता-खेलता परिवार है। उस परिवार के सदस्यों में सबके लिए प्यार है पर घर के एक कोने में बैठे बुजुर्ग के प्रति कोई प्यार कोई संवेदना नहीं है।
जागरण संवाददाता, धर्मशाला : एक हंसता-खेलता परिवार है। उस परिवार के सदस्यों में सबके लिए प्यार है, पर घर के एक कोने में बैठे बुजुर्ग के प्रति कोई प्यार, कोई संवेदना नहीं है। यही अकेलापन बुजुर्ग को कचोटता है, समाज में आ रहे बदलाव व अपनों की सोच पर सवाल उठाता है। 93 साल की उम्र में सहारे की जरूरत होती है, पर जीतू राम की मजबूरी उसे बिना किसी सहारे के घर से बाहर कदम रखने के लिए विवश करती है।
लंज सपड़ू के 93 वर्षीय जीतू राम किसी तरह अपनी फरियाद लेकर प्रशासन के द्वार तो पहुंच गए मगर उपायुक्त के न मिलने से निराश होकर घर लौट आए। वह बुधवार सुबह नौ बजे डीसी से मिलने के लिए निकले। कहीं पर गाड़ी मिली तो कहीं पर किसी से लिफ्ट लेकर दो बजे के करीब जिलाधीश कार्यालय पहुंचे। हाथ में डंडा व एक थैला था। उनकी मुलाकात उपायुक्त से नहीं हो सकी, क्योंकि वह बाहर गए थे। बुजुर्ग जीतू राम ने बताया कि वह लंज सपडू के रहने वाले हैं। उनके चार बेटे हैं पर उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है। बताया कि उनकी टांग में फ्रेक्चर आया तो उन्होंने अपने पास रखे 12 हजार रुपये टांग के खर्च पर लगा दिए। अब उनके पास एक पैसा भी नहीं है।
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चिट्ठी लिखने के मांग रहे पचास रुपये
डीसी कार्यालय में एक अन्य व्यक्ति ने जीतू राम से पूछा कि आप अपनी फरियाद सुनाने के लिए क्या कोई चिट्ठी लाए हैं तो उन्होंने कहा कि चिट्ठी लिखने वाले बाहर बैठे हैं। पचास रुपये मांग रहे थे, इसलिए बिना चिट्ठी के ही डीसी साहब के पास आ गया। उन्होंने कहा कि उन्हें किसी वृद्धाश्रम में भेज दिया जाए, या किसी दूसरी जगह इंतजाम कर दिया जाए।
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बुजुर्ग मुझसे नहीं मिल पाया है। उनका पता कनफर्म कर संबंधित क्षेत्र के एसडीएम के माध्यम से राहत दिलाई जाएगी।
-राकेश कुमार प्रजापति, जिलाधीश