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कोलकाता में बीमारी से 21 साल के तंगरोटी के सैन्य जवान का निधन, परसों आना था घर पर

धर्मशाला ब्लाक के तंगरोटी गांव के युवा सैनिक की बीमारी के कारण बंगाल के कोलकाता में मौत हो गई। 21 वर्षीय विशाल कुमार डेढ़ साल पूर्व ही सेना में भर्ती हुआ था। उनकी कंपनी कोलकाता में एक्सरसाइज के लिए गई थी।

By Virender KumarEdited By: Published: Fri, 23 Jul 2021 06:35 PM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 06:35 PM (IST)
कोलकाता में बीमारी से 21 साल के तंगरोटी के सैन्य जवान का निधन, परसों आना था घर पर
तंगरोटी के 21 वर्षीय जवान का निधन। जागरण

योल, संवाद सहयोगी। धर्मशाला ब्लाक के तंगरोटी गांव के युवा सैनिक की बीमारी के कारण बंगाल के कोलकाता में मौत हो गई। 21 वर्षीय विशाल कुमार डेढ़ साल पूर्व ही सेना में भर्ती हुआ था।

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वह अरुणाचल प्रदेश में सेवाएं दे रहा था। इसी दौरान उनकी कंपनी कोलकाता में एक्सरसाइज के लिए गई थी। 13 जुलाई को बीमार होने पर उसे पहले सिविल अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करवाया गया, लेकिन ज्यादा बीमार होने पर कमांड अस्पताल में दाखिल कराया गया जहां 20 जुलाई को उसकी मौत हो गई। इसी दौरान सैन्य प्रशासन ने उसके स्वजन को भी बुला लिया था। शुक्रवार को अंतिम संस्कार पूरे सैन्य सम्मान के साथ श्री चामुंडा नंदिकेश्वर मोक्ष धाम में किया गया। नवीं कोर योल की सेना के अधिकारी तथा जवानों ने श्रद्धांजलि दी। वह अपने पीछे माता-पिता व दो बहनें छोड़ गया है।

क्या पता था 25 जुलाई को छुट्टी पर नहीं आ पाएगा घर

यह शब्द उन दो बहनों के हैं जो कि अपने इकलौते भाई का पिछले एक साल से इंतजार कर रही थीं। विशाल ने 25 जुलाई को छुट्टी पर घर आना था, लेकिन भाग्य को शायद कुछ और ही मंजूर था। विशाल की मौत ने उसके परिवार के सपनों को भी तोड़ कर रख दिया है। विशाल के पिता सुरेंद्र कुमार दिहाड़ी लगाते हैं जबकि उनकी माता सुनीता आंगनबाड़ी सहायिका के तौर पर कार्यरत हैं। विशाल के स्वजनों का यह स्वप्न भी था कि वे अपना घर बनाएंगे और उनकी बेटियों की शादी भी धूमधाम से होगी, लेकिन विशाल की अचानक बीमारी से मौत ने उनके सभी सपनों को चूर-चूर कर दिया।

विशाल के पिता सुरेंद्र कुमार ने कड़ी मेहनत करके अपने बच्चों को पढ़ाया था। तंगरोटी पंचायत के उपप्रधान अंकेश डोगरा ने बताया कि विशाल मिलनसार और मेहनती था। उसने सेना में भर्ती होने के लिए कड़ी मेहनत की थी। वह पहली बार सेना भर्ती की दौड़ में पिछड़ गया था, लेकिन उसने हिम्मत नहीं छोड़ी लगातार एक महीने तक सुबह शाम दौड़ लगाने के बाद वह सेना में भर्ती होने में सफल भी हुआ था।

उनकी अंतिम यात्रा में गांव के लोग भी मौजूद रहे और उन्होंने इस सैनिक को श्रद्धाजंलि भी अर्पित की।


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