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स्कूल खुलने का स्वागत, पर आकस्मिक अवकाशों पर रोक गलत: प्रवीण शर्मा

कोरोना के कारण बच्चों की पढ़ाई लगभग पूरा साल बाधित रही परंतु अब पहली फरवरी से बच्चे स्कूल पहुंच जाएंगे। शिक्षकों ने बच्चों के लिए आन लाइन पढ़ने की सुविधा उपलब्ध करवाई इसके लिए शिक्षा विभाग ने अपना पूरा-पूरा सहयोग समय-समय पर दिया है।

By Richa RanaEdited By: Published: Thu, 28 Jan 2021 01:22 PM (IST)Updated: Thu, 28 Jan 2021 02:31 PM (IST)
स्कूल खुलने का स्वागत, पर आकस्मिक अवकाशों पर रोक गलत: प्रवीण शर्मा
आकस्मिक अवकाशों पर तीन महीने के लिए रोक लगाना कुछ हद तक ठीक नहीं है।

पालमपुर, जेएनएन। कोरोना के कारण बच्चों की पढ़ाई लगभग पूरा साल बाधित रही, परंतु अब पहली फरवरी से बच्चे स्कूल पहुंच जाएंगे। शिक्षकों ने बच्चों के लिए आन लाइन पढ़ने की सुविधा उपलब्ध करवाई, इसके लिए शिक्षा विभाग ने अपना पूरा-पूरा सहयोग समय-समय पर दिया है।

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हिमाचल प्रदेश राजकीय अध्यापक संघ प्रदेश प्रबंधन सदस्य प्रवीण शर्मा ने कहा कि पहली फरवरी से बच्चों के स्कूल दोबारा शुरू होने जा रहे हैं जो कि छात्र हित में एक बहुत बड़ी बात है। जिसके लिए सभी शिक्षक तन, मन, धन से तैयार हैं। परंतु शिक्षकों के आकस्मिक अवकाशों पर तीन महीने के लिए रोक लगाना कुछ हद तक ठीक नहीं है। अगर कोई शिक्षक स्कूल के लिए तैयार होते ही बीमार हो गया या फिर किसी कारणवश वाहन खराब हो गया तो वह किसे बताएगा। क्योंकि स्कूल मुखिया भी तीन महीने तक अब किसी भी प्रकार का आकस्मिक अवकाश नही दे पाएंगे। विभाग ने आकस्मिक अवकाशों पर तीन महीने तक रोक लगा दी है। परंतु आकस्मिक अवकाश अचानक से कोई विपदा पड़ जाए, अचानक कोई बीमारी हो जाए तब लिए जाते हैं।

विभाग ने कहा कि ज्यादा जरूरत होने पर ही इस प्रकार का अवकाश मिलेगा पर मुश्किल समय में अवकाश लेने की अनुमति किससे मिलेगी। स्कूल मुखिया के लिए मनाही हो चुकी है, तो फिर विभाग यह सुनिश्चित करे या कोई फोन नंबर उपलब्ध करवाए ताकि इमरजेंसी के समय मे आकस्मिक अवकाश की सूचना विभाग को दी जा सके।

उन्होंने कहा कि शिक्षक हर परिस्थिति में कार्य करने के लिए तैयार हैं परंतु कोर्ट आदेशों को लागू करना भी विभाग का फर्ज बनता है। एलपीए 54 को डेढ़ साल बाद भी लागू न करना शिक्षकों के एक बड़े वर्ग के साथ अन्याय है। पांच साल बाद भी नया वेतनमान नहीं दिया। डीए भी बंद कर दिया फिर भी शिक्षक अपना काम ईमानदारी से कर रहे हैं और करते रहेंगे।


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