भाषण में सिमरन व पें¨टग स्पर्धा में साहिल प्रथम
संवाद सहयोगी, नादौन : स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग खंड नादौन की ओर से मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला दंगड़ी में भाषण प्रतियोगिता व पें¨टग प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया।
संवाद सहयोगी, नादौन : स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग खंड नादौन की ओर से मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला दंगड़ी में भाषण प्रतियोगिता व पें¨टग प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इसमें विजेताओं को स्वास्थ्य विभाग की तरफ से नकद इनाम भी दिए गए। भाषण प्रतियोगिता में क्रमश: सिमरन, नंदनी व तमन्ना ने पहला, दूसरा व तीसरा स्थान प्राप्त किया। पें¨टग प्रतियोगिता में साहिल, कौशिक व दीक्षा ने पहला दूसरा व तीसरा स्थान प्राप्त किया।
इस दौरान विद्यार्थियों को राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के कार्यक्रमों व स्वाइन फ्लू, क्षयरोग, कैंसर, मलेरिया, डेंगू तथा मनोरोगों आदि के बारे में खंड चिकित्साधिकारी डॉ. आशोक कौशल व खंड स्वास्थ्य शिक्षक राम प्रसाद शर्मा ने दी। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बताया कि इस समय 1000 की जनसंख्या में 20 व्यक्ति गंभीर मानसिक विकारों सिजोफ्रेनिया, बाई पोलर विकार, आर्गेनिक साइकोसिस और गहन अवसाद से पीड़ित हैं। इस जनसंख्या के लिए निरंतर इलाज और नियमित ध्यान देने की आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया कि लोगों में मानसिक विकारों को लेकर बहुत सी गलत धारणाएं हैं। जैसेमानसिक विकार कोई रोग नहीं बल्कि बुरी आत्माओं की वजह से पैदा होते हैं। दवाओं के सेवन से बचना चाहिए क्योंकि ये नुकसानदायक होती हैं और निर्भरता बढ़ाती हैं व जीवनभर लेनी पड़ती हैं। ज्यादातर मनोविकारों का कोई इलाज नहीं होता, इलाज के लिए नींद की गोलियां दी जाती हैं व अवसाद जैसे मर्ज अपने आप ठीक हो जाते हैं। जबकि तथ्य इसके विपरीत हैं और मनोरोग चिकित्सक द्वारा दवाएं बताई गई हैं तो इनका सेवन अवश्य करना चाहिए, दूसरी बीमारियों की तरह मानसिक रोग भी आंतरिक स्तर पर जैविक असंतुलन की वजह से होते हैं। दवाओं के सेवन से मनोविकारों में काफी कमी होती है खासतौर से तब जबकि इलाज शुरुआती चरण में आरंभ हो जाए। मनोविकारों के उपचार में दी जाने वाली दवाएं रासायनिक असंतुलन को बहाल करती हैं। कुछ दवाओं से नींद आती है, लेकिन वे नींद की गोलियां नहीं होती हैं तथा अवसाद जैसे मनोविकार भी मधुमेह या उच्च रक्तचाप की तरह के रोग ही होते हैं। इनके लिए भी विशेषज्ञ की देखरेख में इलाज कराने की आवश्यकता होती है।