Martyrs of Galwan: आज गांव पहुंचेगी हमीरपुर के 21 वर्षीय जांबाज शहीद अंकुश ठाकुर की पार्थिव देह
Martyrs of Galwan शहीद की पार्थिव देह शाम को चंडीगढ़ से कड़ोहता पहुंचाई जाएगी।
जाहू (हमीरपुर), दीनानाथ शास्त्री। हिमाचल प्रदेश के अंकुश ठाकुर अपनी सैन्य परंपरा के अनुरूप देश के काम आ गए हैं। भोरंज तहसील के कड़ोहता गांव के 21 वर्षीय अमर शहीद अंकुश पूर्व सैनिक अनिल कुमार के पुत्र और पूर्व सैनिक रण सिंह के पोते थे। भारत व चीन के सैनिकों के बीच पूर्व लद्दाख वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हुई झड़प में उनकी शहादत की खबर से गांव स्तब्ध रह गया। शहीद की पार्थिव देह सुबह साढ़े बजे पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही थी। लेकिन अब बताया जा रहा है शहीद की देह शाम को ही चंडीगढ़ से कड़ोहता पहुंचाई जाएगी। अंतिम संस्कार बरसेला स्थित श्मशानघाट में सैनिक सम्मान के साथ किया जाएगा।
पिता अनिल कुमार भर्राए हुए गले से कहते हैं, 'बेटे के जाने पर क्या कहूं.... गर्व है लेकिन दुख भी। पूर्व सैनिक होने के नाते जानता हूं कि शहीद होना देश के प्रति फर्ज पूरा करना है... इसलिए स्वयं को संभालना ही होगा।Ó
अंकुश की माता ऊषा राणा की ममता बार-बार शून्य को ताकती है लेकिन आंखों की नमी से सारे दृश्य धुंधला रहे हैं। छठी कक्षा में पढऩे वाले भाई आदित्य बस रो रहे हैं...। शहीद के पिता के गोल चेहरे पर गर्व है लेकिन स्थिति को संभालने का दायित्व भी। संयत होकर कहते हैं, 'अंकुश की पार्थिव देह चंडीगढ़ से वीरवार को पैतृक गांव कड़ोहता में पहुंचेगी।
शहीद अंकुश ठाकुर ने दसवीं कक्षा की पढ़ाई राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मुंडखर और जमा दो कक्षा में नॉन मेडिकल की शिक्षा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला लदरौर से प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की। मेधावी छात्र होने के कारण बीएससी प्रथम व द्वितीय वर्ष की परीक्षा पास करने के बाद तीसरे साल की पढ़ाई छोड़कर 2018 में पंजाब रेजिमेंट में भर्ती हुए। अभी दस माह पहले ही अंकुश ने ड्यूटी ज्वाइन की थी
मुझे गर्व है कि मेरा बेटा देश की रक्षा करते हुए सरहद पर शहीद हुआ है... लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पुरजोर मांग करता हूं कि चीन को मुंह तोड़ जवाब देकर शहादतों का बदला लिया जाए। -अनिल कुमार, शहीद अंकुश के पिता।