कैटल फीड प्लांट भौर में मजदूरों का हो रहा शोषण
उपमंडल भोरंज के भौर कस्बे में स्थापित राज्य मिल्क फेडरेशन लिमिटिड के कैटल फीड प्लांट में ठेकेदार की मार्फत कार्य कर रहे मजूदरों की हालत बेहद खराब है। मजदूरों ने उनका जमकर शोषण करने व उनकों को कार्य से निकाले जाने की संभावना को
संवाद सहयोगी, भोरंज :
उपमंडल भोरंज के भौर कस्बे में स्थापित राज्य मिल्क फेडरेशन लि. के कैटल फीड प्लांट में ठेकेदार की मार्फत कार्य कर रहे मजूदरों की हालत बदत्तर है। मजदूरों ने उनका जमकर शोषण करने व उनकों को कार्य से निकाले जाने की संभावना को देखते इसकी शिकायत मिल्क फेडरेशन के चेयरमैन से की है।
शिकायत में कहा गया है कि भौर कैटल फीड प्लांट में दस मजदूर चार सितबर 2013 से कार्य कर रहे हैं। पहले उनका तीन साल का अनुबंध था, फिर इसे एक-एक करके किया गया। बाद में प्लांट प्रबंधन ने दो मजूदरों को आउटसोर्स कर्मी बना दिया। इसमें से एक को चपरासी तथा दूसरे को परिचालक बना दिया गया। उन्होंने कहा कि इससे अब आठ मजदूरों में कार्य का अतिरिक्त बोझ आ गया है क्योंकि नए मजदूरों की भर्ती नहीं की जा रही है। मजदूर रणजीत सिंह, रमेश चंद, संदीप कुमार, बलवीर सिंह, मनोज कुमार, रविद्र कुमार, जगदीश चंद व विनय कुमार ने कहा कि वह 16 मार्च को जब प्लांट प्रभारी के पास काम मांगने गए तो उन्होंने काम के लिए साफ मना कर दिया। इसके बाद ठेकेदार प्लांट में आये तो उन्होंने तैयार माल कर 15 बोरियां ऊंची डांक पर लगाने को कहा। जबकि यह पांच बोरिया तक ही लगाई जाती है। मजदूरों ने आरोप लगाया कि एक सिक्योरिटी गार्ड सहित दो आये अधिकारियों ने सभी मजदूरों से कहा कि वे प्लांट के अधिकारी सुरेंद्र मेहता के खिलाफ बोले तभी सभी को काम पर रख लिया जाएगा।
सुरेंद्र मेहता का तबादला हो जाने के बाद अब मजदूरों पर खराब माल की पैकिंग किये जाने की दबाव बनाया जा रहा है। जब ऐसा करने से मना करते हैं तो बिना नोटिस दिये निकाले जाने की धमकी दी जा रही है। वहीं, भारी बोरियां अनलोड करने से पीठ दर्द से परेशान हैं।
कैटल फीड प्लांट भौर के मैनेजर धर्मपाल शर्मा का कहना है कि सभी मजदूर दिए गए दिशा निर्देशों के तहत कार्य नहीं कर रहे हैं। इस बारे में ठेकेदार को लिखा गया है।
उधर चैयरमैन मिल्ड फेडरेशन हिमाचल प्रदेश निहाल चंद का कहना है कि मजदूरों की शिकायत और समस्या मेरे ध्यान में है। मजदूरों को सहकारी सभा बनाकर पंजीकृत करने की सलाह दी है ताकि यह कार्य ठेकेदार से न लेकर सीधा मजदूरों से ले सकें।