हमीर उत्सव: अपने आपमें समृद्ध इतिहास समेटे है हिमाचल का हमीरपुर
हिमाचल के सबसे छोटा जिला हमीरपुर कांगडा का कांगड़ा का अभिन्न अंग रहा है सितंबर 1972 को ये अस्तित्व में आया था।
हमीरपुर, रणवीर ठाकुर। भौगोलिक दृष्टि से प्रदेश का सबसे छोटा जिला हमीरपुर अपने आपमें समृद्ध इतिहास समेटे हुए है। हमीरपुर जिला कांगड़ा का अभिन्न भू-भाग रहा है। यह जिला पहली सितंबर 1972 को अपने अस्तित्व में आया। 18वीं शताब्दी के प्रथम चरण में कांगड़ा क्षेत्र में कटोच वंश के उदय होने के समय जिला हमीरपुर ने अपने ऐतिहासिक क्षेत्र में प्रवेश किया है।
इसका अस्तित्व राजा हमीर चंद के शासनकाल से संबंधित है जिसने 18वीं शताब्दी में हीरानगर के समीप सामरिक दृष्टि से एक दुर्ग का निर्माण करवाया था। उसी के नाम से जिले का नाम हमीरपुर पड़ा है। 1740 व 1780 ईस्वी तक वह कांगड़ा रियासत के शासक रहे थे। हमीरपुर नगर में एक बड़ा तहसील भवन जो 1988 में बनाया गया था, नगर के गौरवपूर्ण अतीत के रूप में शेष है।
ऐतिहासिक महत्व के स्थल
जिले के सुजानपुर, नादौन तथा महल मोरियां के साथ इतिहास के पन्नों पर कई स्वर्णिम अध्याय लिखे जा चुके हैं। नौवीं व दसवीं शताब्दी में कांगड़ा राज्य में नादौन का राजकीय महत्व स्थापित हो गया था। त्रिगर्त की राजधानी नगरकोट (कांगड़ा) में भी इस राज्य का प्रमुख राजकोष केंद्र नादौन रह चुका है। 1690 में गुरु गोविंद सिंह की सेना ने नादौन की युद्ध भूमि पर मुगल सेना को खदेड़ दिया था। नादौन के जिस स्थान
पर गुरु जी सेना के साथ लड़े वहां वर्तमान में भव्य गुरुद्वारा है।
जिला हमीरपुर के तहत सुजानपुर टीहरा का ऐतिहासिक दृष्टि से विशेष स्थान है। इस नगर की स्थापना की नींव कांगड़ा के राजा घमंड चंद ने 1761 से 1773 में रखी थी और इनके पौत्र महाराजा संसार चंद ने 1775 से 1823 ई को इस नगर को गरिमा प्रदान की। इनके शासनकाल में सुजानपुर टीहरा होली उत्सव श्रद्धा व उल्लास से मनाया जाने लगा।
धार्मिक महत्व के स्थल
उत्तर भारत के प्रसिद्ध सिद्धपीठ बाबा बालकनाथ धाम दियोटसिद्ध नामक स्थान पर स्थित है जो जिला बिलासपुर के उपमंडल घुमारवीं के तहत तहसील शाहतलाई के साथ लगता है। मंदिर में गुफा दर्शन बाबा जी का अखंड धूना, धार्मिक पुस्तकालय, भर्तृहरि मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर चरण पादुका व बाबा जी की तलाई शामिल हैं। मार्कंडेय, गसोता महादेव, टौणी देवी मंदिर, अवाहदेवी मंदिर, झनियारी देवी मंदिर शामिल हैं। इसके इलावा पीर साहिब समाधि नादौन शामिल हैं। बता दें कि राज्यस्तरीय हमीरपुर उत्सव भी प्राचीन संस्कृति का प्रतीक है।