प्रभु सिमरन से भवसागर हो सकता है पार : केशवानंद
चित्र 05,06 संवाद सहयोगी, गलोड़ : मन प्रभु चरणों में लगाना चाहिए तभी भवसागर को पार कर सकते
संवाद सहयोगी, गलोड़ : मन प्रभु चरणों में लगाना चाहिए तभी भवसागर को पार कर सकते हैं। यह शब्द आचार्य केशवा नन्द वशिष्ठ ने शिव मंदिर पटयाहू में आयोजित श्रीमद्भागवत पुराण कथा के चौथे दिन कहे। उन्होंने श्रीकृष्ण जन्म कथा की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने भागवत पुराण के बारे में बताया कि श्रीमद्भागवत पुराण ¨हदु समाज का सर्वाधिक आदरणीय पुराण है। यह वैष्णव संप्रदाय का प्रमुख ग्रंथ है। इस ग्रंथ में वेदों, उपनिषदों तथा दर्शन शास्त्र के गूढ़ एवं रहस्यमय विषयों को अत्यन्त सरलता के साथ निरूपित किया गया है। इसे भारतीय धर्म और संस्कृति का विश्वकोष भी कहते हैं। सैकड़ों वर्षों से यह पुराण हिन्दू समाज की धार्मिक, सामाजिक और लौकिक मर्यादाओं की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता आ रहा हैं। हर रोज भागवत में आस पास के गांवों से लोग भागवत कथा का श्रवण कर रहे हैं और गांव में भक्तिमय माहौल बना हुआ है। इस मौके पर मंदिर समिति अधिकारी गुरदास शर्मा, हंस राज, अमर देव शास्त्री, लाला देश राज, राज देव सहित निका राम, अशोक, वंशी लाल, डॉ. राकेश शर्मा, बाबू राम सहित कई श्रद्धालु उपस्थित रहे।