नेरी में श्रीमद्भागवत पुराण पर हो रहे शोध
ठाकुर जगदेव चन्द स्मृति शोध संस्थान नेरी में श्रीमछ्वागवत पुराण अनुशीलन मासिक गोष्ठी का आयोजन शोध संस्थान नेरी के संगोष्ठी कक्ष में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता बलदेव ¨सह राणा ने की।
संवाद सहयोगी, हमीरपुर : ठाकुर जगदेव चन्द स्मृति शोध संस्थान नेरी में श्रीमद्भागवत पुराण अनुशीलन मासिक गोष्ठी का आयोजन शोध संस्थान नेरी के संगोष्ठी कक्ष में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता बलदेव ¨सह राणा ने की। मुख्य वक्ता डॉ. ओम दत्त सरोच रहे। उन्होंने श्रीमद्भागवत पुराण के प्रथम सकन्द के सातवें, आठवें और नौवें अध्याय का विस्तृत वर्णन किया। उन्होंने सातवें अध्याय का वर्णन करते हुए बताया कि इस ग्रंथ को परमहंस संहिता भी कहा जाता है। आठवें अध्याय का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि पांडव श्री कृष्ण के साथ गंगा तट पर अपने पितरों का तर्पण करने के लिए जाते हैं। युधिष्ठिर द्वारा तीन अश्वमेघ यज्ञ करने का वर्णन भी मिलता है। इसमें धौम्य ऋषि के बारे में बताया। उन्होंने बताया अश्वथामा ने उत्तरा के गर्भ पर प्रहार किया। जिसकी रक्षा श्री कृष्ण ने की। नौवें अध्याय में युधिष्ठिर को आत्मग्लानि होती है और वे पितामह के पास जाते हैं जहां पर भीष्म पितामह राजधर्म का उपदेश देते हैं। कार्यक्रम अध्यक्ष बीएस राणा ने अपने अध्यक्षीय संदेश में कहा कि श्रीमद्भागवत पुराण पर हो रहे शोध से नए विषय समाज के सामने उभर कर आएंगे। कार्यक्रम में शोध संस्थान के समन्वय व निदेशक चेतराम गर्ग ने शोध संस्थान द्वारा आयोजित कार्यक्रमों व आगामी होने वाले राष्ट्रीय परिसंवाद के बारे में जानकारी दी। शोध संस्थान सचिव भूमिदत्त शर्मा ने सभी का धन्यवाद किया। कार्यक्रम में संस्थान के कोषाध्यक्ष नरेंद्र कुमार नन्दा, इतिहास दिवाकर व्यवस्थापक प्यार चन्द परमार, डॉ. विकास शर्मा, डॉ. सोमदेव शर्मा, डॉ. राकेश शर्मा, डॉ. राकेश कुमार शर्मा, डॉ. जे.पी. शर्मा, डॉ. शक्ति ¨सह, जमना दास अग्निहोत्री, राजेश शर्मा, सुरजीत कुमार आदि उपस्थित थे।