Move to Jagran APP

जयंती पर विशेष: जनरल जोरावर की बहादुरी पर हर कोई था हैरान

इस महान योद्धा की वीरता के परिणामस्वरूप लद्दाख महाराजा गुलाब सिंह के राज्य का हिस्सा बना तथा आज वह भारत का भू-भाग है।

By BabitaEdited By: Published: Fri, 13 Apr 2018 03:08 PM (IST)Updated: Fri, 13 Apr 2018 03:10 PM (IST)
जयंती पर विशेष: जनरल जोरावर की बहादुरी पर हर कोई था हैरान
जयंती पर विशेष: जनरल जोरावर की बहादुरी पर हर कोई था हैरान

नादौन, संजीव बॉबी। जनरल जोरावर सिंह महान योद्धा, वीर व साहसी होने के साथ धर्म परायण व स्वामी भक्त भी थे। उनकी बहादुरी का हर कोई कायल था। 13 अप्रैल को महानायक जनरल जोरावर सिंह की जयंती है। उनकी दूरदृष्टि का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि उनको आज से करीब 200 वर्ष पहले ही उत्तरी सीमा से भारत को होने वाले खतरे का आभास हो गया था। इस पर उन्होंने सीमा विस्तार मैदानी क्षेत्रों की तरफ करने के बजाय दुर्गम भू-भाग की ओर अपना अभियान शुरू किया। इस महान योद्धा की वीरता के परिणामस्वरूप लद्दाख महाराजा गुलाब सिंह के राज्य का हिस्सा बना तथा आज वह भारत का भू-भाग है। 

loksabha election banner

जोरावर सिंह अपने चार हजार सैनिकों के साथ 19 हजार फुट की ऊंचाई के गलेशियरों को पार करके छह दिन में लेह पहुंचे थे। जोरावर सिंह का जन्म 13 अप्रैल 1786 ई. को चंद्रवशी राजपूत हरजे सिंह ठाकुर के घर गांव अन्सरा मौजा हथोल डाकघर नादौन जिला हमीरपुर में हुआ।

उनके पिता कहलूर बिलासपुर रियासत के दरवारी थे। गांव में भूमि विवाद को लेकर झगड़े के कारण वह घर छोड़कर हरिद्वार चले गए थे। वहां से लाहौर के शासक रणजीत सिंह व कांगड़ा के राजा  संसार चंद की सेनाओं में सेवा करने के बाद जम्मू चले गए। वहां पर इनकी भेंट महाराजा गुलार्ब ंसह से हुई। तकलाकोट में जब जोरावर सिंह व उनकी सेना प्राकृतिक परिस्थितियों से जूझ रही थी तो तिब्बतियों ने हमला बोल दिया। 10 दिसंबर 1841 ई. को जोरावर सिंह तोन्यू के निकट तिब्बतियों की 10 हजार सेना से भिड़ गए। 

अभी निर्णायक लड़ाई चल रही थी कि 12 दिसंबर 1841 ई. को रणवीर सपूत को गोली लग गई। अदम्य वीरता व साहस का परिचय देते हुए वह तलवार से लड़ते रहे, तभी एक भाला पीछे से उन्हें लगा। शत्रुओं ने उन्हें घेर लिया व उन्हें शहादत प्राप्त हुई। 

जोरावर सिंह की वीरता व योग्यता से प्रभावित होकर तिब्बतियों ने तो व्यू नामक स्थान पर उनकी समाधि के अवशेष वहां पर रखे हैं। जनरल जोरावर सिंह महाविद्यालय धनेटा में इतिहास के सहायक प्रोफेसर राकेश कुमार शर्मा ने बताया किविश्व के इतिहास में जनरल जोरावर सिंह जैसा महान योद्धा नहीं हुआ जिनके अदम्य साहस व वीरता का लोहा मानते हुए दुश्मनों ने इनकी समाधि बनाई हो।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.