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कांग्रेस को क्यों देखना पड़ा हार का मुंह, क्या रही मुख्य वजह; पढ़ें पूरी खबर

धर्मशाला विधानसभा उपचुनाव में कांगेस की हार की कई वजह रहीं जिसने कांग्रेस नेताओं के बीच तकरार की तलवारें खींच दीं।

By Babita kashyapEdited By: Published: Fri, 25 Oct 2019 09:06 AM (IST)Updated: Fri, 25 Oct 2019 09:08 AM (IST)
कांग्रेस को क्यों देखना पड़ा हार का मुंह, क्या रही मुख्य वजह; पढ़ें पूरी खबर
कांग्रेस को क्यों देखना पड़ा हार का मुंह, क्या रही मुख्य वजह; पढ़ें पूरी खबर

धर्मशाला, जेएनएन। धर्मशाला विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस के कुनबे को एकजुट करने की कोशिशें महज दिखावे तक ही सिमटी नजर आ रही हैं। कांग्रेस पार्टी में गुटबाजी का नतीजा यह रहा कि उपचुनाव में मुख्य प्रतिद्वंदी दल की जमानत तक जब्त हो गई। उपचुनाव में एकजुटता के साथ चुनाव जीतने के दावों के बीच कांग्रेस ने भाजपा को विकास, दूसरी राजधानी व इन्वेस्टर मीट के बहाने के घेरा भी था और कई कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने यहां डेरा भी डाले रखा परंतु नतीजा शून्य ही रहा।

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उपचुनाव की घोषणा के साथ ही धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस नेताओं के बीच तकरार की तलवारें खिंच गई थीं, जो कि टिकट आवंटन के दौरान भी आमने-सामने ही रहीं। कांग्रेस से टिकट को लेकर कई चेहरे समाने आए, लेकिन ब्लॉक कांग्रेस ने पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा का नाम आगे किया। टिकट आवंटन को लेकर कई दिन तक संशय की स्थिति बनी रही और इसी बीच सुधीर शर्मा ने उपचुनाव न लड़ने का फैसला कर दिया।

कांग्रेस से टिकट विजय इंद्र कर्ण को मिला और माइनस सुधीर शर्मा कांग्रेसी एकजुट होकर चुनाव मैदान में उतरे भी, लेकिन कहीं न कहीं सुधीर के चुनाव प्रचार में न उतरने और टिकट को लेकर अन्य कांग्रेस के चाहवानों ने भी पार्टी प्रत्याशी के लिए कुछ खास काम नहीं किया। आपसी लड़ाई का ही नतीजा था कि कांग्रेस प्रत्याशी विजय इंद्र कर्ण ने बुधवार को बकायदा एक प्रेस कांफ्रेंस में यह आरोप भी लगाया था कि पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा ने उनके पक्ष नहीं बल्कि भाजपा के पक्ष में काम किया है।

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दूसरी तरफ निर्दलीय प्रत्याशी राकेश चौधरी ने भी भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस के भी काफी समीकरण बिगाड़े। कांग्रेस के हालात ये रहे कि वह कोतवाली बाजार के आठ नंबर बूथ में ही लीड ले पाई और बाकि सभी बूथों में कोई साथ नहीं मिला। टिकट आवंटन के बाद कुछ रोष तो भाजपा व कांग्रेस के नेताओं में

रहा था, लेकिन भाजपा ने अपने बागी के चुनाव मैदान में उतरने के बावजूद अपनी स्थिति को एकजुटता से संभाल लिया परंतु कांग्रेस अपनी गुटबाजी से बाहर नहीं निकल पाई और अपनी हालात खराब करवा बैठी।

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