गोधन सहेजेगा गोसवा आयोग, विधेयक पास
सड़कों में घूमते बेसहारा गो-धन को सहारा देने के लिए प्रदेश सरकार गो-सेवा आयोग कर गठन करेगी। इस आयोग के प्रदेश सरकार के सदस्यों के साथ-साथ सभी विभागों की आलाधिकारी भी बतौर सदस्य शामिल किए जाएंगे।
जागरण संवाददाता, धर्मशाला : सड़कों में घूमते बेसहारा गोधन को सहारा देने के लिए प्रदेश सरकार गोसेवा आयोग का गठन करेगी। इसमें प्रदेश सरकार के सदस्यों के साथ-साथ सभी विभागों के आलाधिकारी भी बतौर सदस्य शामिल किए जाएंगे। आयोग के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष को चुने जाएंगे। पशुपालन वीरेंद्र कंवर का राज्यों में गायों के परीक्षण, संरक्षण और कल्याण को लेकर गोसेवा आयोग की स्थापना को लेकर के सदन में पेश किए गए विधेयक विधेयक को सदन के सदस्यों ने मंजूरी दी। हालांकि विपक्ष की ओर से कुछ सुझाव भी दिए गए। सरकार ने सदस्यों के सुझावों पर आश्वास्त किया है कि सभी सदस्यों के सुझावों को विचार किया जाएगा और गो-सेवा आयोग की स्थापना की जाएगी।
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शिमला में होगा आयोग का कार्यालय
गोसेवा आयोग पहाड़ी क्षेत्र की देसी गायों रेड ¨सधी, साहीवाल जैसी नस्लों के सुधार के लिए काम करेगा। इसमें अध्यक्ष व उपाध्यक्ष समेत सभी विभागों के डीआइजी स्तर के अधिकारी शामिल किए जाएंगे, जिनकी समय-समय बैठकें कर गाय के संरक्षण पर काम किया जाएगा।
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सदस्यों के पक्ष
आयोग में पदाधिकारियों की तैनाती संवैधानिक तरीके से हो। उनके लिए शैक्षणिक योग्यता तय हो।
-सुख¨वदर ¨सह सुक्खू।
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आयोग का कार्यालय शिमला में स्थापित करने का कोई औचित्य नहीं है। इसका कार्यालय पालमपुर में होना चाहिए। आयोग के किसानों की सहभागिता भी तय हो।
-राकेश पठानिया।
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आयोग में पुलिस प्रशासन का क्या काम है। सरकार आयोग के माध्यम से राजनीतिक पद सृजित करने का प्रयास कर रही है।
-हर्ष बर्धन चौहान।
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आयोग की कोई जरूरत नहीं है, पशु पालन विभाग को मजबूत करो। ऐसे तो जिसका मन करेगा वह मंत्री एक नया आयोग बना देगा।
-जगत ¨सह नेगी।
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सरकार ने आंखें मूंदकर ही विधेयक बना दिया है। आयोग की बैठक में विभाग का कोई भी अधिकारी या कर्मचारी कैसे शामिल हो सकता है। गाय संरक्षण तो बहाना है, सरकार को अपने लोग कुर्सी पर बैठे हैं।
-राकेश ¨सघा।