पौंग बांध का पानी सींचेगा ऊना के खेत
दिन प्रतिदिन कम होने भू जल स्तर से बंजर होती जमीनों को बचाने में पौंग बांध से एक खड्ड ऊना में मैदानी क्षेत्रों में लाई जाएगी। ऊना क्षेत्र में हजारों हेक्टेयर भूमि की खेती वर्षा जल पर निर्भर है।
जागरण संवाददाता, धर्मशाला : भूजल स्तर में कमी से बंजर होती जमीनों को बचाने के लिए पौंग बांध से ऊना तक नहर बनाई जाएगी। ऊना जिला में हजारों हेक्टेयर भूमि की खेती वर्षाजल पर निर्भर है। यहां सिंचाई की व्यवस्था न हो पाने से लोगों ने खेती छोड़ दी है। जहां खेती होती है वहां पानी की कमी से पैदावार नहीं हो पाती। जिला ऊना का मैदानी भाग पौंग बांध के स्तर से नीचे है। ऐसे में पौंग बांध का पानी ऊना के खेतों के लिए पहुंचाना मुश्किल नहीं होगा। यह पानी पहुंचने से अकेला जिला ऊना प्रदेश के लिए आनाज उपलब्ध करवा सकता है। आइपीएच मंत्री महेंद्र ¨सह ठाकुर ने सदन में नियम-130 के तहत कम होने भूजल स्तर हुई चर्चा के जवाब में उत्तर दिया।
विधानसभा में प्रस्ताव रखते हुए विधायक राकेश पठानिया और रमेश धवाला ने जलवायु परिर्वतन को अति गंभीर समस्या बताते हुए प्रदेश में दिख रहे प्रभावों को लेकर प्रदेश सरकार को सचेत किया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन से पर्यावरण, वातावरण, पानी के स्रोतों, बारिश सहित अन्य परिर्वतनों को चर्चा कर सदन में रखा।
सदन में प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए आठ विधायकों ने विचार रखे। इसमें विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज, विधायक राकेश ¨सघा, कर्नल इंद्र ¨सह, सुखराम चौधरी, मनवीर ¨सह, किशोरी लाल, जीत राम कटवाल और राजेंद्र गर्ग ने भी समर्थन में चर्चा कर अहम सुझाव दिए। प्रस्ताव पर चर्चा करने के बाद आइपीएच मंत्री महेंद्र ¨सह ठाकुर ने जवाब देते हुए माना कि ग्लोबल वार्मिग से हिमाचल में भी व्यापक असर देखने को मिल रहा है। कुछ समय पहले के प्राकृतिक स्त्रोत पूरी तरह से खत्म हो गए हैं। प्रदेश में जलवायु परिर्वतन से हो रहे नुकसान और वषर जल संग्रहण के लिए 4751 करोड़ रुपये के बजट पर कार्य किया जा रहा है। इसके अलावा पहाड़ी राज्य में बारिश से नदियों-नालों से होने वाले नुक्सान को रोकने के लिए 4893 करोड़ रुपये से चैनलाइजेशन करने पर कार्य शुरू कर दिया गया है। ऊना जिला में सिंचाई सुविधा को सुचारू करने के लिए जिला कांगड़ा के पौंग बांध से पानी शिफ्ट करके पहुंचाया जाएगा। उक्त मामले में जल्द ही योजना तैयार कर संबंधित विभागों से बातचीत की जाएगी।