पैसा मिलेगा पर किसकी जेब से निकलेगा
जयसिंहपुर बस अडडे में माहौल कुछ उमस भरा होने लगा है। लिहाजा बसों में सवार यात्री जल्द से जल्द अपने घरों में पहुंचने की फिराक में थे। इतने में पूजा
जयसिंहपुर बस अडडे में मौसम कुछ उमसभरा होने लगा था। लिहाजा बसों में सवार यात्री जल्द घरों में पहुंचने की फिराक में थे। इतने में पूजा फनार बस सुजानपुर से जयसिंहपुर पहुंची। सोचा इसी बस में आगे का सफर किया जाए। बस ने सरिमोलग के लिए जाना था। बस में चढ़ा तो सभी सीटें भर गई थीं और बैठने के लिए जगह नहीं थी तो सोचा यात्रियों की फोटो खींच ली जाए। जैसे ही मोबाइल फोन कैमरे से फोटो लेने लगा तो महिला यात्रियों ने पूछा भाई क्या करना है फोटो, अखबार में तो नहीं लगाना है। मुझे लगा बात करने का अच्छा मौका है और चुनावी चर्चा शुरू कर दी। इस दौरान काथला के राहुल का कहना था कि जयसिंहपुर से काथला तक सड़क की हालत तो देखो। क्या भाजपा, क्या कांग्रेस दोनों की सरकार में इसका उद्धार नहीं हुआ। इतने में बस अड्डे से निकली और गंतव्य की ओर चल पड़ी। एक युवा बात करने के लिए सवाल करने लगा ही था कि एक ग्रामीण महिला बोल पड़ी, खान चोरां जो चुनाव कुणी कुछ नी देना, रोटी कमाई ने मिलनी। उसे देखने लगा तो इतने में एक सज्जन ने तपाक से कहा, अबकी बार तो 72 हजार रुपये मिलने हैं। पहले पंद्रह लाख मिले थे। इस पर बस में हंसी का ठहाका गूंज उठा। हिचकोले खाते हुए बस चली हुई थी तो संधोल निवासी ओम प्रकाश कहने लगे कि सरकार किसी की भी बने उसको काम करना ही पड़ेगा। हमें तो तभी फायदा है जब गांवों की दशा सुधरेगी। लावारिस पशु और बंदरों का आज तक कोई समाधान नहीं हुआ। इसके लिए सभी को वोट का सही तरीके से उपयोग करते हुए ऐसे व्यक्ति को चुनना पड़ेगा जो सही मायने में योग्य हो। तभी रजनी नामक महिला ने बताया कि आज तक बेरोजगारों के लिए किसी भी सरकार ने क्या किया है। अब राहुल गांधी बोल रहे हैं कि साल में 72 हजार रुपये देंगे। इन लोगों की बात को सुनते हुए पता ही नहीं चला कब सरिमोलग पहुंच गए। इसके बाद बस से उतरा और वापसी के लिए किसी लिफ्ट का इंतजार करने लगा। बहरहाल इस सारे सफर में यह निकला कि ग्रामीण क्षेत्र के मतदाताओं का यह मानना था कि नेता लोग केवल वादे करते है। कहा कि मोदी ने खाते में 15 लाख की राशि आने की बात कही थी मगर आया कुछ नहीं और अब राहुल गांधी 72 हजार सालाना की बात कर रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि जिस पैसों को यह देने की बात कर रहे हैं वह सही मायने में किसकी जेब से निकलेगा। यह पैसा आम जनता से ही इकट्ठा होगा।