बेसहारा गोवंश का सहारा बने नूरपुर के युवा
नूरपुर के युवा बेसहारा गोवंश को सहारा देने में जुटे हुए हैं।
- 20 सदस्य लोगों के लिए भी बन रहे प्रेरणास्रोत, गोसेवा दल नूरपुर गायों को गोशाला में पहुंचाने में भी कर रहा मदद
- 103 गोवंश का मौके पर पहुंचकर करवा चुके हैं इलाज, सड़क व रेल दुर्घटनाओं में हादसे का शिकार होते हैं पशु
- 06 माह से बेजुबान घायल और बीमार पशुओं की कर रहे सेवा, कोरोना महामारी के दौरान भी जारी रखा अभियान
अश्वनी शर्मा, जसूर
गोसेवा दल नूरपुर के युवा सड़क पर घूम रहीं बेसहारा गायों का सहारा बन रहे हैं। जहां कहीं से भी उन्हें गायों के घायल होने की सूचना मिलती है तो उनकी टीम मदद के लिए मौके पर पहुंच जाती है। युवा अपने खर्च पर भी गोवंश को मरहम लगा रहे हैं। हैरानी की बात है कि सरकार गोवंश को सहारा देने के कई दावे करती है, लेकिन अभी तक कोई योजना धरातल पर नहीं उतर पाई है। कई स्थानों पर गायों के झुंड देखे जा सकते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग और संपर्क मार्गो पर अकसर ये पशु जाम व हादसों का कारण भी बनते हैं। कई तो घायल होकर मौत का शिकार भी हो जाते हैं। ऐसे ही पशुओं को मरहम लगाने में गोसेवा दल नूरपुर के 20 सदस्य जुटे हुए हैं।
युवक अपने निजी खर्च से छह महीने से इन बेजुबान घायल और बीमार पशुओं का सहारा बने हुए हैं। कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन के दौरान भी युवा अपने काम में जुटे रहे। दल के सदस्य संदीप जरियाल, अर्पण चावला, कमल कुमार, कपिल चौधरी, सचिन, अंकुश, केशव, ममता, नरेंद्र, रवि, संजय, रोहित, आशुतोष, अमन पठानिया व अन्य ने बताया कि अभी तक वे 22 घायल पशुओं को मरहम लगाने के साथ आश्रय भी दिला चुके हैं। सड़क व रेल दुर्घटनाओं में शिकार होकर घायल हुए 103 गोवंश का मौके पर पहुंचकर पशु चिकित्सिकों की सहायता से इलाज करवाया है। हादसों से बचाने के लिए गायों को लगा रहे रेडियम कॉलर
युवाओं ने निजी खर्च से सड़कों पर घूम रहे गोवंश को रेडियम कॉलर पहनाने का अभियान भी छेड़ा है। इसके चलते अब रात के अंधेरे में सड़क पर खड़ी गायों को वाहन चालक आसानी से भांप सकते हैं। युवाओं का कहना है कि भारत में मां का दर्जा लिए बेसहारा गाय के प्रति सरकार को और संवेदनशील होना चाहिए। नूरपुर के इस युवा दल की गायों के प्रति निस्वार्थ सेवा प्रशंसनीय है। शीघ्र ही इन युवाओं को आयोग द्वारा सम्मानित किया जाएगा। सरकार द्वारा जिला कांगड़ा में चार कऊ सेंक्चुअरी बनाने की योजना प्रस्तावित है। उनमें से जवाली के खबल में भी एक सेंक्चुअरी बनेगी। इसमें करीब 800 गायों को रखने की व्यवस्था होगी। प्रदेश में करीब 148 निजी गोशालाएं कार्यरत हैं, जिसके लिए सरकार ने प्रतिमाह प्रति गाय के लिए 500 रुपये की राशि देने की मंजूरी दे दी है। कोरोना महामारी से उभरते ही आने वाले समय मे बेसहारा गायों को उचित सहारे की व्यवस्था हो जाएगी।
- अशोक शर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष गोसेवा आयोग।