नकल करवाने वाले कमजोर कर रहे हैं देश का भविष्य
कल करवाकर बच्चों को पास करवा भी लें तो बच्चा भविष्य में कुछ नहीं कर सकता है।
धर्मशाला, जेएनएन। बोर्ड परीक्षाओं में नकल को रोकने के लिए स्कूल शिक्षा बोर्ड, शिक्षा विभाग और एसडीएम स्तर पर स्थानीय प्रशासन कई प्रयास कर रहे हैं। फिर भी इस व्यवस्था के घेरे को तोडऩे में कुछ लोग कामयाब हो रहे हैं। नकल करवाने और नकल करने वाले लोग यह नहीं समझते हैं कि वे नकल करवाकर देश की बागडोर संभालने वाला भविष्य को कमजोर कर रहे हैं। नकल करवाकर बच्चों को पास करवा भी लें तो बच्चा भविष्य में कुछ नहीं कर सकता है।
नकल को रोकने के लिए वैसे तो मजबूत प्रबंध हैं, लेकिन ये काफी नहीं हंै। प्रदेश की स्थिति को देखते हुए इन्हें और मजबूत करने की जरूरत है। सबसे पहले शिक्षा की शुरुआत को ही बदलने की जरूरत है। प्रारंभिक स्तर से ही शिक्षा का पैट्रन बदलने की जरूरत है।
अमरनाथ राणा।
नकल का कारण प्रारंभिक शिक्षा का स्तर भी है। आठवीं तक फेल न होने वाले बच्चे का मानसिक
विकास नहीं होता है, इसलिए वह नकल की ओर बढ़ रहा है। इसलिए शिक्षा नीति में बदलाव लाने की जरूरत है।
विजेंद्र चंदेल।
नकल रोकने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों पर हो रहे हमले बहुत दुखद हैं। इन पर लगाम लगाने और कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है। नकल रोकने के लिए बच्चों व अभिभावकों के स्तर पर भी काम करने की जरूरत है।
कमल किशोर गुप्ता, पूर्व संयुक्त निदेशक शिक्षा।
नकल की आदत अभिशाप से कम नहीं है। अपने स्कूल के अच्छे परिणाम देने की चाह में नकल करवाने वाले स्कूल प्रशासन भी इस जुर्म में बराबर के भागीदार हैं। इसलिए नकल करवाने वाले अध्यापकों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। परीक्षा अधीक्षकों व स्टाफ पर हमले निंदनीय हंै।
संजय मोगू, प्रधानाचार्य।