डॉक्टर साहब! पता लगा क्या थी बीमारी
जागरण संवाददाता, टांडा : यह प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल है। यहां लोग इस उम्मीद में आत
जागरण संवाददाता, टांडा : यह प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल है। यहां लोग इस उम्मीद में आते हैं कि उनका मर्ज ठीक हो जाएगा..लेकिन यह क्या यहां पर्ची पर बीमारी और, एक्स-रे फार्म पर बीमारी अलग तथा अल्ट्रासाउंड पर और। इतना ही नहीं टेस्ट रिपोर्ट के बिना ही पर्ची पर दवाओं की लंबी-चौड़ी सूची भी लिख दी गई।
यह मामला है डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल कांगड़ा स्थित टांडा का। 19 वर्षीय अभिजीत को सोमवार को पांच बजे के बाद परिजन इमरजेंसी में लेकर आए। यहां इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर साहब ने अभिजीत की जांच की और एक्स-रे फार्म व अल्ट्रासाउंड फार्म भी भरा गया। लेकिन जब परिजन मरीज को लेकर रेडियोलॉजी विभाग में पहुंचे तो हैरान रह गए। यहां उन्हें पता चला कि मरीज के एक्स-रे फार्म पर लिखा गया था कि पेशाब नली में बायीं तरफ पत्थरी है। इतना ही नहीं, अल्ट्रासाउंड पर फार्म कुछ और ही बीमारी लिखी गई थी। इस पर लिखा था कि दायीं तरफ पत्थरी है और अपेंडिक्स भी है, लेकिन जब पर्ची देखी गई थी उस पर लिखा था पेशाब रुका है। अब रेडियोग्राफर को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे यानी एक्स-रे किस का करना है और अल्ट्रासाउंड कैसे किया जाए। उन्होंने मरीज के तीमारदारों को डॉक्टर को बुलाने के लिए भेजा। विडंबना तो यह है कि न तो डॉक्टर आया और न ही मरीज का एक्स-रे हुआ और न अल्ट्रासाउंड।
लापरवाही की हद तो यह है कि डॉक्टर साहब ने मरीज की पर्ची पर दवाओं की लंबी-चौड़ी सूची लिख दी थी। अब सवाल यह उठता है कि प्रदेश के दूसरे बडे़ अस्पताल में ही मरीजों के साथ ऐसा हो रहा है तो छोटे अस्पतालों में क्या स्थिति होगी? लगभग आधे हिमाचल के लोगों की सेहत का ख्याल रखने वाले अस्पताल में ही ऐसी स्थिति है तो मरीज क्या करें? वहीं, अमीर आदमी तो निजी अस्पतालों में ही उपचार करवा लेगा, लेकिन गरीबों का क्या? उनके लिए तो सरकारी अस्पताल ही सहारा हैं। उनके जीवन की डोर तो सरकार अस्पताल के चिकित्सकों के ही हाथ में है, लेकिन अगर यहीं ऐसी लापरवाही बरती जाएगी तो गरीब आदमी कहां जाएगा? प्रदेश सरकार को इस संबंध में ठोस कदम उठाने होंगे। ऐसे लापरवाह डॉक्टरों पर नकेल कसनी होगी जो अपनी ड्यूटी में कोताही बरत रहे हैं।
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इमरजेंसी में तैनात रहे वरिष्ठ चिकित्सक
अकसर देखा गया है कि इमरजेंसी सेवाएं पीजी चिकित्सकों के सहारे रहती हैं और वरिष्ठ चिकित्सक ऑन कॉल ही हाजिर होते हैं। लेकिन रात को वरिष्ठ चिकित्सकों के उपस्थित न होने की शिकायतें अस्पताल प्रशासन के पास पहुंचती रहती हैं। लोगों की भी मांग है कि रात को इमरजेंसी में एक वरिष्ठ चिकित्सक अवश्य तैनात रहे, ताकि आपातकाल में आने वाले मरीजों को सही उपचार मिल सके।
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यह मामला गंभीर है। इस संबंध में अभी कोई शिकायत नहीं आई है। शिकायत आने पर संबंधित चिकित्सक से जवाब मांगा जाएगा और अगर वह दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। रात को वरिष्ठ चिकित्सकों की ऑन कॉल इमरजेंसी ड्यूटी लगाई जाती है।
-डॉ. रमेश भारती, प्राचार्य टांडा मेडिकल कॉलेज।