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किसान की आय दोगुणा करने के लिए नए सिरे से सोचें कृषि विवि : अग्रवाल

हिमाचल प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव बी.के. अग्रवाल ने कहा कि कृषि शिक्षा में सुधार के लिए अभिनव समाधानों को विकसित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों को कृषक समुदाय की आय को दोगुना करने के लिए नए सिरे से सोचने होगा। मुख्य सचिव शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) मॉडल अधिनियम संशोधन पर

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Jun 2019 08:15 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jul 2019 06:51 AM (IST)
किसान की आय दोगुणा करने के लिए नए सिरे से सोचें कृषि विवि : अग्रवाल
किसान की आय दोगुणा करने के लिए नए सिरे से सोचें कृषि विवि : अग्रवाल

जैगरण संवाददाता, पालमपुर : हिमाचल प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव बीके अग्रवाल ने कहा कि कृषि शिक्षा में सुधार के लिए अभिनव समाधानों को विकसित किया जाना चाहिए। साथ ही कृषि विश्वविद्यालयों को कृषक समुदाय की आय दोगुना करने के लिए नए सिरे से सोचना होगा। मुख्य सचिव शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) मॉडल अधिनियम संशोधन पर आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी में विभिन्न राज्यों से आए कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को संबोधित कर रहे थे।

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अग्रवाल ने कहा कि भूख की समस्या को कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा हल किया गया है लेकिन नई चुनौतियां सामने आई हैं। उत्पादकता में कमी, बढ़ती इनपुट लागत, किसानों का संकट, रसायनों के अत्यधिक उपयोग के कारण पर्यावरण का क्षरण, घटता जल-पटल, आदि ऐसे प्रमुख मुद्दे थे जिन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। मुख्य सचिव ने सलाह दी कि कृषि छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त करने व अपने कौशल को बढ़ाने के लिए किसानों के साथ पर्याप्त समय बिताना चाहिए।

डॉक्टर आरआर पाठक, अध्यक्ष ऑल इंडिया यूनीवर्सिटी एसोसिएशन और कुलपति, जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए सभी कृषि विश्वविद्यालयों के बीच सामान्य पाठ्यक्रम व नियम आवश्यक थे। सभी राज्य सरकारों को शिक्षा की गुणवत्ता व प्रशासनिक व्यवस्था में एकरूपता बनाए रखने के लिए आइसीएआर मॉडल अधिनियम को अपनाना चाहिए। उन्होंने कुलपति का कार्यकाल तीन साल से बढ़ाकर पांच साल करने की भी वकालत की।

एसोसिएशन के महासचिव व इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के महासचिव डॉ. एसके पाटिल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति हाल ही में शुरू की गई है और अगले पांच वर्ष में कृषि शिक्षा निवेश दोगुना हो जाएगा। सभी विश्वविद्यालय बहु-संकाय बन रहे थे और कृषि विश्वविद्यालयों को इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर योजना और विचार करना होगा। आनंद कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष और उपाध्यक्ष डॉ. सीपी पटेल ने कहा कि उप-कुलपतियों को कृषि नीतियों को तैयार करने में राज्य सरकारों की मदद करनी चाहिए।

मेजबान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अशोक कुमार सरियाल ने बताया कि विश्वविद्यालय में पहली बार इस आयोजन की शुरुआत हुई थी। उन्होंने कृषि विश्वविद्यालयों में शिक्षण, विस्तार और अनुसंधान के सुधार के लिए आइसीएआर अधिनियमों को अधिक उपयुक्त, प्रभावी और उपयोगी बनाने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि सर्वोत्तम प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए शिक्षकों की भर्ती की जानी चाहिए। यह आयोजन विश्वविद्यालय व भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ ने संयुक्त रूप से किया है।

संगोष्ठी में 25 कुलपतियों के अलावा अध्यक्ष, आइसीएआर मॉडल अधिनियम संशोधन समिति डॉ. एसएस चाहल, आइसीएआर मॉडल अधिनियम समिति के सदस्य डॉ. एसएस तोमर, कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड के सदस्य डॉक्टर एके श्रीवास्तव, उपायुक्त कांगड़ा राकेश प्रजापति, विश्वविद्यालय के वैधानिक अधिकारी, आइसीएआर के अधिकारी और उद्घाटन समारोह के दौरान आयोजन सचिव डॉ. अश्वनी बसंदराय भी मौजूद रहे।


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