धर्मशाला में बिना मान्यता व संबद्धता चल रहा विशेष बच्चों का स्कूल, सुविधाएं भी नही
हैरानी की बात है कि प्रबंधन के पास न तो स्कूल चलाने के दस्तावेज हैं और न ही स्कूल मान्यता प्राप्त है।
धर्मशाला, मुनीष गारिया। जिला मुख्यालय धर्मशाला में विशेष बच्चों से शिक्षा के नाम पर खेल हो रहा है। हैरानी की बात यह है कि आज दिन तक इस बाबत किसी को कानोंकान खबर तक नहीं हुई है। मौखिक शिकायतों के बाद अब शिक्षा विभाग की टीम ने विशेष बच्चों के लिए चलाए जा रहे इस कथित निजी स्कूल में दबिश दी तो सनसनीखेज खुलासा हुआ है।
हैरानी की बात है कि प्रबंधन के पास न तो स्कूल चलाने के दस्तावेज हैं और न ही स्कूल मान्यता प्राप्त है। शिक्षा विभाग ने अब कार्रवाई करते हुए स्कूल प्रबंधन के खिलाफ डीसी कांगड़ा से शिकायत और पुलिस में एफआइआर दर्ज करवाने का फैसला लिया है। बड़ी बात यह है कि स्कूल प्रबंधन ने बच्चों को लाने और घर छोड़ने के लिए अपनी बस भी चलाई है। धर्मशाला के खनियारा रोड पर विशेष बच्चों का स्कूल चलाया जा रहा है और इसमें धर्मशाला व आसपास क्षेत्रों के 35 बच्चे पढ़ते हैं। बड़ी बात तो यह है कि स्कूल में पांच बेड रिडेड (पूर्ण रूप से अक्षम) बच्चे भी हैं।
शिक्षा विभाग की टीम ने निरीक्षण में पाया है कि बेड रिडेड बच्चों और सामान्य अक्षमों से उच्च श्रेणी के नौनिहालों के लिए स्कूल में विशेषज्ञ डॉक्टर तक नहीं है। सूत्र बताते हैं कि इन बच्चों को इंजेक्शन देकर सामान्य करने की कोशिश की जाती है। शिक्षा के अधिकार नियम के अनुसार, विशेष बच्चों के लिए हर उपमंडल में विशेष
स्कूल एवं आइडीविंग बनाया गया है, जहां स्पेशल एजुकेटर और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की निगरानी में
ऐसे बच्चों को रखा भी जाता है और उन्हें पढ़ाया जाता है।
2200 विशेष बच्चे हैं जिले में
जिला कांगड़ा में 2200 विशेष बच्चे हैं। इनमें से 500 बेड रिडेड हैं तो शेष 1700 दूसरी श्रेणी के अक्षम हैं। विशेष बच्चों के लिए हर उपमंडल में सामान्य स्कूल में आइडीविंग होता है। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला (छात्र) धर्मशाला में भी शिक्षा विभाग का आइडी विंग है। यहां दो स्पेशल एजुकेटर एवं शिक्षक तैनात किए गए हैं।
गत दिनों विभाग की टीम ने स्कूल का दौरा किया था। स्कूल प्रबंधन को संबद्धता लेने के लिए नोटिस जारी किया था, लेकिन प्रबंधन ने कुछ नहीं किया। शिक्षा विभाग शीघ्र इस संबंध में उपायुक्त कांगड़ा से शिकायत करने के साथ-साथ एफआइआर भी दर्ज करवाएगा। अभिभावकों से अपील है वे विशेष बच्चों को इस तरह के स्कूल में न भेजें।
-दीपक किनायत, उपनिदेशक, प्रारंभिक शिक्षा विभाग कांगड़ा