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सीयू में प्रोफेसर पद की नियुक्ति पर सवाल

प्रक्रिया को लेकर फिर विवादों को आया सीयू प्रशासन -शिकायतकर्ता का आरोप अपात्र को कैसे बुला लिया साक्षात्कार में और कैसे मिल गई नियुक्ति जागरण संवाददाता धर्मशाला भर्ती प्रक्रिया को लेकर अक्सर विवादों में रहा हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयू) एक बार फिर से सवालों की घेरे में आ गया है। वर्ष 2019 में प्रोफेसर पद के लिए हुई भर्ती को लेकर एक अन्य अभ्यर्थी ने शिकायत की है। शिकायत में प्रोफेसर पद पर तैनात किए गए व्यक्ति को अपात्र बताते हुए उसे मामले की जांच की मांग की है और सीयू की चयन समिति पर भी सवाल उठाए हैं। जुलाई 2019 के दौरान

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 May 2020 04:49 PM (IST)Updated: Fri, 15 May 2020 06:19 AM (IST)
सीयू में प्रोफेसर पद की नियुक्ति पर सवाल
सीयू में प्रोफेसर पद की नियुक्ति पर सवाल

जागरण संवाददाता, धर्मशाला : भर्ती प्रक्रिया पर अक्सर विवाद में रहा हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयू) एक बार फिर से सवालों के घेरे में आ गया है। वर्ष 2019 में प्रोफेसर पद के लिए हुई भर्ती को लेकर एक अभ्यर्थी ने शिकायत की है। शिकायतकर्ता ने प्रोफेसर पद पर तैनात किए गए व्यक्ति को अपात्र करार देते हुए मामले की जांच की मांग उठाई है।

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जुलाई 2019 में सीयू के बिजनेस स्कूल में प्रोफेसर के एक पद के लिए भर्ती की गई थी। इस मामले में बलवीर शर्मा ने ईमेल से सीयू प्रशासन से शिकायत की है। शिकायतकर्ता का कहना है कि 10 जुलाई, 2019 को प्रोफेसर पद के आवेदकों की सूची शॉर्टलिस्ट की गई थी। सूची में उक्त व्यक्ति का नाम नहीं था। सीयू की चयन समिति ने इस व्यक्ति को अपात्र घोषित कर तर्क दिया था कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नियमों के अनुसार उसके न्यूनतम 10 जरनल प्रकाशित नहीं हुए हैं। इसके साथ ही कहा था कि जो भी अपात्र घोषित किए हैं, वे पात्रता पूरी करने के लिए 14 जुलाई तक सीयू के कुलसचिव को ईमेल से जानकारी दे सकते हैं। इस बीच 12 जुलाई को सीयू प्रशासन ने प्रोफेसर पद के लिए कॉल लेटर वेबसाइट में अपलोड कर दिए। शिकायतकर्ता के अनुसार इसमें भी उक्त व्यक्ति का लेटर नहीं था। आरोप है कि 24 अगस्त को जब साक्षात्कार हुआ तो इस अपात्र आवेदक ने इंटरव्यू दिया और चयनित भी हो गया। उन्होंने सीयू की चयन समिति पर सवाल उठाया है कि व्यक्ति 12 जुलाई तक पात्र नहीं था तो इंटरव्यू में कैसे पहुंच गया। शिकायतकर्ता का तर्क है कि चयन समिति में सदस्य खुद विवि के कुलपति भी होते हैं, लेकिन यूजीसी का जब पहले हवाला दिया गया तो बाद में सिर्फ एक आवेदक के लिए नियम क्यों बदले गए। उन्होंने कहा कि यह बात तो सत्य है कि इस व्यक्ति के 10 जरनल प्रकाशित नहीं हुए हैं, क्योंकि वह इससे पूर्व सोलन के जिस निजी विवि में कार्यरत थे वहां पूरा ब्योरा है। उधर, कुलपति डॉ. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने बताया कि सीयू में नियमों के अनुसार ही भर्तियां की जाती हैं। अगर शिकायत पहुंचती है तो कार्रवाई की जाएगी।


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