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परचेज पॉलिसी डॉफ्ट न किया जाए लागू

हिमाचल आयुर्वेद निर्माता संघ ने प्रदेश आयुर्वेद विभाग के निदेशक द्वारा तैयार किए गए परचेज पॉलिसी ड्राफ्ट का कड़ा विरोध प्रकट किया है। इस ड्राफ्ट को तुरंत रद्द करने के लिए रविवार को निर्माता संघ के चेयरमैन जितेंद्र सोढी की अध्यक्षता में एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेश स्वास्थ्य एवं आयुर्वेद मंत्री विपिन परमार से मुलाकात कर सकारात्मक पहल करने की गुहार लगाई।

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Nov 2018 05:32 PM (IST)Updated: Sun, 11 Nov 2018 05:32 PM (IST)
परचेज पॉलिसी डॉफ्ट न किया जाए लागू
परचेज पॉलिसी डॉफ्ट न किया जाए लागू

जागरण संवाददाता, नगरोटा बगवां : हिमाचल आयुर्वेद निर्माता संघ ने प्रदेश आयुर्वेद विभाग के निदेशक की ओर से तैयार किए गए परचेज पॉलिसी ड्राफ्ट का विरोध किया है। ड्राफ्ट को रद करने की मांग के समर्थन में रविवार को निर्माता संघ के चेयरमैन जितेंद्र सोढी की अध्यक्षता में प्रतिनिधिमंडल ने स्वास्थ्य एवं आयुर्वेद मंत्री विपिन परमार से मिला। जितेंद्र सोढी ने कहा कि परचेज पॉलिसी-2009 को बदलने के लिए जो नया ड्राफ्ट बनाया गया है वह तो न प्रदेश सरकार और न ही हिमाचल के हित में है। ड्राफ्ट को यदि लागू किया जाता है तो 70 से 80 फीसद दवाएं विभाग दूसरे राज्यों की सरकारी व प्राइवेट फॉर्मेसी से खरीद कर पाएगा। ड्राफ्ट के लागू होने पर अन्य राज्यों से परचेज करना लीगल हो जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री ने करीब महीने पहले अन्य राज्यों के टेंडर को रद करने के आदेश दिए थे उसे दरकिनार कर नया ड्राफ्ट तैयार कर दिया गया। आरोप लगाया कि केवल मात्र अन्य राज्यों से की गई खरीद को सही साबित करने के लिए 19 ड्रग इंस्पेक्टर बना दिए गए। इसमें से अधिकतर जूनियर आयुर्वेदिक डॉक्टर हैं तथा एएचसी में तैनात हैं। इन 19 इंस्पेक्टर के साथ दो-दो डॉक्टर और तैनात कर दिए गए तथा प्रदेश की करीब 61 फार्मेसी में ताबड़तोड़ छापे मारे गए। जीएमपी के मानकों  के विपरीत आपत्तियां लगाई तथा सभी के लाइसेंस रद करने की धमकी भी दी गई। प्रदेश में करीब 260 इकाइयां अभी अभी पंजीकृत हुई है जिसमें से 160 से ज्यादा बंद हो चुकी हैं तथा यदि ड्राफ्ट लागू किया गया तो अन्य भी बंद होने की कगार पर पहुंच जाएंगी। आयुर्वेद विभाग की ओर से ऑनलाइन लाइसेंस लेने के लिए अभी तक कोई भी फॉर्मेट या सॉफ्टवेयर नहीं बनाया गया है। लाइसेंस संबंधित छोटे से काम के लिए शिमला जाना पड़ता है। इससे पैसे व समय की बर्बादी होती है। स्वास्थ्य मंत्री से मांग की है कि जिन इकाइयों के लाइसेंस रद किए गए हैं, उन्हें बहाल किया जाए। विभाग की कार्यशैली यदि ठीक नहीं होगी तो आने वाले समय में प्रदेश से आयुर्वेद का वजूद ही खत्म हो जाएगा। इस मौके पर उपप्रधान प्रवीन शर्मा, महासचिव उपेंद्र गुप्ता, सुरेंद्र शर्मा, विकास चड्ढा, अनिल, सुरेश व अन्य मौजूद रहे।

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